'प्रियंका गांधी आई है बीजेपी घबराई है', यह जुमला नहीं हकीकत है!

By विकास कुमार | Published: February 11, 2019 08:07 PM2019-02-11T20:07:47+5:302019-02-11T20:30:01+5:30

लखनऊ का नवाब आज प्रियंका गांधी थीं. भाई-बहन की जोड़ी देख कर लखनऊ का हर आदमी कह रहा था कि इस बार कांग्रेस का जरूर कुछ हो जायेगा. 'प्रियंका आई है बीजेपी घबराई है' के नारे राजकीय राजधानी में तैर रहे थे.

PRIYANKA GANDHI ROAD SHOW would be a moral booster for congress party workers | 'प्रियंका गांधी आई है बीजेपी घबराई है', यह जुमला नहीं हकीकत है!

'प्रियंका गांधी आई है बीजेपी घबराई है', यह जुमला नहीं हकीकत है!

Highlightsप्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस 2009 को यूपी में एक बार फिर दोहराना चाहती है.राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का लखनऊ ने ऐसे स्वागत किया जैसे पहले कभी किसी का नहीं किया था.ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रोड शो के दौरान मौजूद थे.

लखनऊ का नवाब आज प्रियंका गांधी थीं. प्रियंका गांधी का रोड शो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था बीजेपी के नेताओं की धड़कने बढ़ रही थीं. भावनाओं का समंदर और कार्यकर्ताओं का विशाल  हुजूम प्रियंका को यूपी में दिए गए कमान के फैसले को सफल साबित कर रही थी. 143 साल पुरानी पार्टी जिसे बीजेपी बुढ़िया भी कहती है, उसका युवा नतृत्व बीजेपी को लोकसभा चुनाव से पहले नवाबी स्टाइल में चुनौतियां पेश कर रहा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कांग्रेस के युवा होने का प्रमाण बीजेपी को दे रहे थे. प्रियंका गांधी की सौम्य मुस्कान और हांथ हिलाने का तरीका अनायास ही लोगों को इंदिरा गांधी की याद दिला रहे थे. 

कांग्रेस को प्रियंका से आस 

भाई-बहन की जोड़ी देख कर लखनऊ का हर आदमी कह रहा था कि इस बार कांग्रेस का जरूर कुछ हो जायेगा. प्रियंका के दौरे से एक दिन पहले ही कांग्रेस के चाणक्य सैम पित्रोदा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भाई-बहन की जोड़ी इस लोकसभा चुनाव का पासा पलट के रख देगी. आखिर क्यों नहीं, ऐसा तो है नहीं कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में कभी वोट ही नहीं मिले. एक दशक पहले 2009 में कांग्रेस ने यूपी में 10 सीटों पर जीत दर्ज किया था. 2004 में कांग्रेस को 10 सीटें मिली थी. और दिलचस्प बात ये है कि दोनों बार कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा सीटें मिली थीं.

2014 के बाद से ही प्रियंका की मांग तेज 

प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने की मांग 2014 में भाजपा के प्रचंड जीत के बाद से ही होने लगे थे. धीरे-धीरे पूरे देश में भगवा झंडा फहराने लगा और कांग्रेस कार्यकर्ता प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने के लिए उतावले होने लगे. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद प्रयागराज में नारे सुनाई दे रहे थे, प्रियंका लाओ और कांग्रेस बचाओ. कांग्रेस नेतृत्व को संभाल रही सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया और उसके बाद कांग्रेस नेतृत्व में जान फूंकने का काम खुद राहुल गांधी ने संभाला.

राहुल गांधी का साथ देने के लिए आई 

सॉफ्ट हिंदूत्व और तमाम क्षेत्रीय नेताओं को साधकर गुजरात विधानसभा चुनाव के रास्ते हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों में कांग्रेस का विजयी पताका लहराया जिसके बाद उनकी नेतृत्व क्षमता पर उठने वाले सवाल स्वतः खारिज हो गए. हर चुनाव में राहुल गांधी बनाम नरेन्द्र मोदी का नैरेटिव खड़ा करने वाली भारतीय जनता पार्टी आज इस पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट को लेकर पशोपेश में है. लेकिन कांग्रेस इस बार के चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. राहुल गांधी को पीएम बनने के लिए उत्तर प्रदेश का किला फतह करना ही होगा. क्योंकि पार्टी यहां पिछले एक दशक से हाशिये पर है इसलिए एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के अलावा पार्टी को बीजेपी बनाम सपा-बसपा बनाम कांग्रेस की स्थिति में लाकर खड़ा कर दे. 

प्रियंका की भाषण कला और लोगों से जुड़ने की प्रक्रिया राजनीतिक सफलता के हिसाब से शानदार है. राहुल गांधी के साथ घूमना कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त माहौल बना सकता है.  हिंदुस्तान भावनात्मक रूप से हमेशा ही संवेदनशील देश रहा है. एक अकेले पड़े भाई ,मां बीमार है तो फिर बहन का साथ कांग्रेस के परंपरागत वोटों को गुरुत्वीय रूप से आकर्षित कर सकता है. आखिर गांधी परिवार ने इस देश की राजनीति में अपने कई पीढ़ियों को खपाया है और ऐसे भी लोकतंत्र में कोई पार्टी सत्ता में आने का कॉपीराईट नहीं ले सकती है. लेकिन इतना तय है कि इस बार का चुनाव बराबर टक्कर का होने वाला है. 

Web Title: PRIYANKA GANDHI ROAD SHOW would be a moral booster for congress party workers

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