उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने लगभग तीन साल पहले ही शुरू की चुनावी तैयारियां
By शीलेष शर्मा | Published: June 15, 2019 09:00 PM2019-06-15T21:00:01+5:302019-06-15T21:00:01+5:30
प्रियंका गांधी ने लोकसभा चुनाव-2019 में भेजे गये लगभग दस समन्वयको को बुलाकर लंबी चर्चा की और यह पता लगाने की कोशिश की कि प्रदेश में जो मजबूत प्रत्याशी थे वे चुनाव क्यों हारे।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा में एक और विधानसभा में केवल सात सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस 2022 में अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोंक रही है. कांग्रेस के इतिहास में यह पहला मौका है जब चुनाव से लगभग तीन साल पहले ही पार्टी ने चुनाव की तैयारियों काम शुरू किया हो. पंचायत से लेकर ऊपर तक लगभग प्रदेश में समाप्त हो चुकी कांग्रेस को फिर से पुर्नजीवित करने का फैसला पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने लिया है.
पिछले एक सप्ताह से वे लगातार उत्तर प्रदेश के जमीन से जुड़े नेताओं के सीधे संवाद कर रही है. आज भी प्रियंका ने लोकसभा चुनाव में भेजे गये लगभग दस समन्वयको को बुलाकर लंबी चर्चा की और यह पता लगाने की कोशिश की कि प्रदेश में जो मजबूत प्रत्याशी थे वे चुनाव क्यों हारे.
सूत्र बताते है कि प्रियंका प्रदेश में कांग्रेस की पराजय के साथ-साथ अमेठी में राहुल की हार से हिल गई हैं. क्योंकि रायबरेली और अमेठी में मुख्य प्रचारक के तौर पर प्रियंका ही भाईऔर मां के संसदीय क्षेत्र को देख रहीं थी. प्रियंका ने लोगों से सीधा संवाद करने के लिए दिल्ली में राहुल के आवास पर सप्ताह में दो बार दरबार लगाने का फैसला किया है. जहां वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ समूचे प्रदेश के कार्यक़र्ताओं मुलकात करेंगी.
इसी के साथ चुनाव प्रचार अभियान की तरह प्रियंका ने लगातार उत्तर प्रदेश में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दौर करने का भी निर्णय लिया है. उनके इस निर्णय के पीछे सोच है कि पार्टी को अब ऊपर से नहीं बूथ स्तर से मजबूत करने की जरुरत है और ऐसा करने के लिए बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क कायम करना होगा.