महाराष्ट्र में लगे राष्ट्रपति शासन पर दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल, कहा- पीएम और गृहमंत्री के दबाव में लिया गया फैसला
By रामदीप मिश्रा | Published: November 12, 2019 07:11 PM2019-11-12T19:11:16+5:302019-11-12T19:15:40+5:30
महाराष्ट्र में लगे राष्ट्रपति शासन को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने दबाव में लिया गया फैसला बताया है।
महाराष्ट्र में जारी सियासी उठा पटक के बीच मंगलवार (12 नवंबर) को राज्य में राष्ट्रपित शासन लगा दिया गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिशों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी। प्रदेश में लगे राष्ट्रपति शासन को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर करारा हमला बोला।
समाचार एजेंसी के अनुसार, दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर कहा, 'महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम जी ने जो प्रक्रिया प्रारंभ की थी वो सही थी। पहले सबसे बड़ी पार्टी को बुलाया गया, फिर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को बुलाया गया और तीसरी सबसे बड़ी पार्टी को आज रात साढ़े आठ बजे तक का समय दिया गया था। फिर ऐसा क्या कारण हो गया कि दोपहर में ही उन्होंने राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा केंद्र सरकार से कर दी। ये उचित नहीं है।'
उन्होंने आगे कहा, 'वैसे तो नियम है, कानून हैं और ऐसे सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट हैं, सरकारी कमीशन की सिफारिश भी यही है कि क्लियर बहुमत न हो तो सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए, जोकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने गोवा, मणिपुर और मेघालय में नहीं अपनाया, लेकिन यहां अपनाया। इसमें ऐन वक्त पर बदलाव जो हुआ है निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री और गृगमंत्री के दबाव में निर्णय लिया गया है और इसमें हमें आपत्ति है।'
#WATCH Digvijaya Singh, Congress: ...This decision (President's Rule in Maharashtra) has been taken under pressure from Prime Minister and Home Minister, we object to this. pic.twitter.com/GRaEoTPG5P
— ANI UP (@ANINewsUP) November 12, 2019
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर हुए चुनावों में 105 सीटें जीतते हुए बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य के चुनाव में शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। इसके अलावा राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का समर्थन जरूरी है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान खत्म हो चुकी है। दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर एकसाथ चुनाव लड़ा और एनडीए को बहुमत भी प्राप्त हुआ, लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए 50:50 का फार्मूला चाहती थी, लेकिन बीजेपी इस पर तैयार नहीं हुई।