राष्ट्रपति कोविंद ने दिया अखिल भारतीय न्यायिक सेवा द्वारा जजों की नियुक्ति का सुझाव, अदालत में अविवेकपूर्ण बयान न देने की दी नसीहत

By अनिल शर्मा | Published: November 28, 2021 10:11 AM2021-11-28T10:11:30+5:302021-11-28T11:04:23+5:30

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि भारतीय परंपरा में, न्यायाधीशों की कल्पना 'स्थितप्रज्ञ' (स्थिर ज्ञान का व्यक्ति) के समान शुद्ध और तटस्थ आदर्श के रूप में की जाती है।

president ram nath kovind there is no compromise with the independence of the judiciary need reform Judges appointing judges system | राष्ट्रपति कोविंद ने दिया अखिल भारतीय न्यायिक सेवा द्वारा जजों की नियुक्ति का सुझाव, अदालत में अविवेकपूर्ण बयान न देने की दी नसीहत

राष्ट्रपति कोविंद ने दिया अखिल भारतीय न्यायिक सेवा द्वारा जजों की नियुक्ति का सुझाव, अदालत में अविवेकपूर्ण बयान न देने की दी नसीहत

Highlightsविज्ञान भवन में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा, मेरा दृढ़ विचार है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायाधीश चयन प्रक्रिया में सुधार एक "प्रासंगिक मुद्दा" है

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कॉलेजियम प्रणाली के तहत जजों की नियुक्ति को लेकर कहा कि चयन पद्धति में सुधार की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायाधीश चयन प्रक्रिया में सुधार एक "प्रासंगिक मुद्दा" है, जिसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम किए बिना प्रयास किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा द्वारा जजों की नियुक्ति का सुझाव दिया। उन्होंने उदाहरण के रूप में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (AIJS) का जिक्र किया और कहा कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो सकती है जो निचले स्तर से उच्च स्तर तक सही प्रतिभा का चयन कर सकती है और इसे आगे बढ़ा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि भारतीय परंपरा में, न्यायाधीशों की कल्पना 'स्थितप्रज्ञ' (स्थिर ज्ञान का व्यक्ति) के समान शुद्ध और तटस्थ आदर्श के रूप में की जाती है।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता हैः राष्ट्रपति

 विज्ञान भवन में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा, मेरा दृढ़ विचार है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। इसे थोड़ी सी भी कम किए बिना, उच्च न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों का चयन करने का एक बेहतर तरीका खोजा जा सकता है।

हमारे पास ऐसे न्यायाधीशों की विरासत का एक समृद्ध इतिहास है

इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने कहा, हमारे पास ऐसे न्यायाधीशों की विरासत का एक समृद्ध इतिहास है, जो दूरदर्शिता से पूर्ण और निंदा से परे आचरण के लिए जाने जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए विशिष्ट पहचान बन गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह उल्लेख करने में खुशी हो रही है कि भारतीय न्यायपालिका इन उच्चतम मानकों का पालन कर रही है।

न्यायाधीश अदालत कक्षों में अपने बयानों में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करेंः कोविंद

कोविंद ने आगे कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपने अपने लिए एक उच्च स्तर निर्धारित किया है। इसलिए, न्यायाधीशों का यह भी दायित्व है कि वे अदालत कक्षों में अपने बयानों में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करें। अविवेकी टिप्पणी, भले ही अच्छे इरादे से की गई हो, न्यायपालिका के महत्व को कम करने वाली संदिग्ध व्याख्याओं को जगह देती है। उन्होंने कहा, एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो सकती है जो निम्नतम से उच्च स्तर तक सही प्रतिभा का चयन, पोषण और प्रचार कर सकती है। यह विचार नया नहीं है और परीक्षण किए बिना लगभग आधी सदी से अधिक समय से है। 

Web Title: president ram nath kovind there is no compromise with the independence of the judiciary need reform Judges appointing judges system

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