President Kovind Speech: कोविड महामारी के कारण उत्सव मौन लेकिन भावना हमेशा की तरह मजबूत, जानें मुख्य बातें
By भाषा | Published: January 25, 2022 09:13 PM2022-01-25T21:13:23+5:302022-01-25T21:20:52+5:30
President Kovind Speech: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे लोकतंत्र की विविधता और जीवंतता की दुनिया भर में सराहना की जाती है।
President Kovind Speech: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने मंगलवार को इस गणतंत्र दिवस पर ‘भारतीयता’ मनाने का आह्वान करते हुए कहा कि मानवता का कोरोना वायरस के विरुद्ध संघर्ष अब भी जारी है और भारत के लिए गर्व की बात है कि हमने इस महामारी के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य-क्षमता का प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति ने 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व भारत के आधार हैं। इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि संविधान में उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों का पालन मौलिक अधिकारों के लिए उचित वातावरण बनाता है।
On this occasion, let us also remember the great freedom fighters who showed incomparable courage in their pursuit of the dream of Swaraj and fired up the people to fight for it: President Ram Nath Kovind addresses the nation on the eve of #RepublicDaypic.twitter.com/MgYonu7dAD
— ANI (@ANI) January 25, 2022
उन्होंने कहा, ‘‘हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का यह उत्सव है। सन 1950 में आज ही के दिन हम सब की इस गौरवशाली पहचान को औपचारिक स्वरूप प्राप्त हुआ था। उस दिन, भारत विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र के रूप में स्थापित हुआ और हम, भारत के लोगों ने एक ऐसा संविधान लागू किया जो हमारी सामूहिक चेतना का जीवंत दस्तावेज है। हमारे विविधतापूर्ण और सफल लोकतंत्र की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है। हर साल गणतंत्र दिवस के दिन हम अपने गतिशील लोकतन्त्र तथा राष्ट्रीय एकता की भावना का उत्सव मनाते हैं।
महामारी के कारण इस वर्ष के उत्सव में धूम-धाम भले ही कुछ कम हो परंतु हमारी भावना हमेशा की तरह सशक्त है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान का कलेवर विस्तृत है क्योंकि उसमें, राज्य के काम-काज की व्यवस्था का भी विवरण है। लेकिन संविधान की संक्षिप्त प्रस्तावना में लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मार्गदर्शक सिद्धांत, सार-गर्भित रूप से उल्लिखित हैं। इन आदर्शों से उस ठोस आधारशिला का निर्माण हुआ है जिस पर हमारा भव्य गणतंत्र मजबूती से खड़ा है। इन्हीं जीवन-मूल्यों में हमारी सामूहिक विरासत भी परिलक्षित होती है।’’
Two days ago, on 23rd January all of us observed the 125th birth anniversary of #NetajiSubhasChandraBose who had adopted the energising salutation of ‘Jai Hind’. His quest for independence and his ambition to make India proud inspire all of us: President Ram Nath Kovind
— ANI (@ANI) January 25, 2022
उन्होंने कहा, ‘‘इन जीवन-मूल्यों को, मूल अधिकारों तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में हमारे संविधान द्वारा बुनियादी महत्व प्रदान किया गया है। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्यों का नागरिकों द्वारा पालन करने से मूल अधिकारों के लिए समुचित वातावरण बनता है।
आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करने के मूल कर्तव्य को निभाते हुए हमारे करोड़ों देशवासियों ने स्वच्छता अभियान से लेकर कोविड टीकाकरण अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिया है। ऐसे अभियानों की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय हमारे कर्तव्यपरायण नागरिकों को जाता है। मुझे विश्वास है कि हमारे देशवासी इसी कर्तव्य-निष्ठा के साथ राष्ट्र हित के अभियानों को अपनी सक्रिय भागीदारी से मजबूत बनाते रहेंगे।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मानव-समुदाय को एक-दूसरे की सहायता की इतनी जरूरत कभी नहीं पड़ी थी जितनी आज है।
अब दो साल से भी अधिक समय बीत गया है लेकिन मानवता का कोरोना वायरस के विरुद्ध संघर्ष अब भी जारी है। इस महामारी में हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर आघात हुआ है। विश्व समुदाय को अभूतपूर्व विपदा का सामना करना पड़ा है। नित नए रूपों में यह वायरस नए संकट प्रस्तुत करता रहा है।
यह स्थिति, मानव जाति के लिए एक असाधारण चुनौती बनी हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘महामारी का सामना करना भारत में अपेक्षाकृत अधिक कठिन होना ही था। हमारे देश में जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है, और विकासशील अर्थव्यवस्था होने के नाते हमारे पास इस अदृश्य शत्रु से लड़ने के लिए उपयुक्त स्तर पर बुनियादी ढांचा तथा आवश्यक संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थे।
लेकिन ऐसे कठिन समय में ही किसी राष्ट्र की संघर्ष करने की क्षमता निखरती है। मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना-वायरस के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य-क्षमता का प्रदर्शन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ पहले वर्ष के दौरान ही, हमने स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को विस्तृत तथा मजबूत बनाया और दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे बढ़े।
दूसरे वर्ष तक, हमने स्वदेशी टीके विकसित कर लिए और विश्व इतिहास में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया। यह अभियान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमने अनेक देशों को वैक्सीन तथा चिकित्सा संबंधी अन्य सुविधाएं प्रदान कराई हैं। भारत के इस योगदान की वैश्विक संगठनों ने सराहना की है। ’’