बिहार में जल प्रबंधन से बाढ़ रोकने की तैयारी, कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण कर नदियों के प्रवाह में लाई जायेगी कमी

By एस पी सिन्हा | Updated: May 18, 2025 14:05 IST2025-05-18T14:05:07+5:302025-05-18T14:05:27+5:30

Bihar Flood:  ऐसे में राज्य सरकार ने बाढ़ से बचाव योजना के त्वरित क्रियान्वयन के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ स्थापित किया है।

Preparations to prevent floods through water management in Bihar flow of rivers will be reduced by creating an efficient irrigation system | बिहार में जल प्रबंधन से बाढ़ रोकने की तैयारी, कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण कर नदियों के प्रवाह में लाई जायेगी कमी

बिहार में जल प्रबंधन से बाढ़ रोकने की तैयारी, कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण कर नदियों के प्रवाह में लाई जायेगी कमी

Bihar Flood:  बिहार में बाढ़ के कारण हर साल होने वाली भारी तबाही की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने जल प्रबंधन पर काम कर रही है। प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य संस्थागत क्षमता निर्माण के स्तर से प्रभावी सिंचाई प्रबंधन एवं कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण करना है। साथ ही, प्रभावी बाढ़ जोखिम प्रबंधन द्वारा आपदा एवं आपातकालीन स्थिति में की जाने वाली तैयारी और प्रक्रिया की क्षमता में वृद्धि करना भी है। इस परियोजना के तहत बिहार के विभिन्न जिलों को सीधा लाभ मिलेगा। जिसमें बाढ़, जलजमाव और सूखे से प्रभावित जिलों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। 

बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए प्रमुख नदियों से अतिरिक्त जल प्रवाह को नियंत्रित करने, अधिक जल प्रवाह की क्षमता को सहन करने के लिए बांधों को अद्यतन तकनीक का प्रयोग कर सुदृढ़ करने तथा सूखाग्रस्त जिलों के लिए सिंचाई स्रोत की ह्रासित सिंचाई क्षमता को पुनर्स्थापित करने की योजनाएं शामिल हैं। दरअसल, उत्तर बिहार की 76 प्रतिशत आबादी बाढ़ की तबाही के खतरे में रहती है। उत्तर बिहार की प्रमुख नदियों में कोसी, बागमती और गंडक हिमालय से निकलती हैं, जिससे ये बाढ़ के दौरान तेजी से जलस्तर बढ़ा देती हैं। इन नदियों के कारण करीब 68 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित होती हैं। बाढ़ के कारण जानमाल के साथ साथ खरीफ की फसलें- धान, मक्का और दलहन बुरी तरह बर्बाद हो जाती हैं। खेती पर बाढ़ का गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे किसानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ता है।

बता दें कि गंगा, कोसी, गंडक और बागमती नदियां बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण बनती हैं। इन नदियों के उफान से पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा और सारण जैसे जिलों में तबाही का मंजर देखने को मिलता रहा है।

वहीं, बिहार की प्रमुख नदियों के पानी को बांध से रोकने की कोशिश भी नाकाफी साबित हुई है। बिहार में सबसे लंबा तटबंध गंगा नदी पर बना है, जिसकी लंबाई 596.92 किलोमीटर है। वहीं गंडक 511.66 किलोमीटर, बूढ़ी गंडक के तटों पर 779.6 किलोमीटर, बागमती के तटों पर 488.14 किलोमीटर, कोसी-अधवारा के तटों पर 652. 45 किलोमीटर, कमला पर 204 किलोमीटर, घाघरा पर 132.90 किलोमीटर, पुनपुन पर 37.62 किलोमीटर, चंदन पर 83.8 किलोमीटर, महानंदा के तटों पर 230.33 किलोमीटर और सोन पर 59.54 किलोमीटर लंबे तटबंध हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने बाढ़ से बचाव योजना के त्वरित क्रियान्वयन के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ स्थापित किया है।

इस योजना में कई बैराज, बांधों का निर्माण तथा नेपाल से निकलने वाली प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ना शामिल है ताकि उनके मार्ग में अतिरिक्त जल का प्रबंधन किया जा सके। इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल ने विश्व बैंक के साथ कुल 4415.00 करोड़ रुपये की परियोजना को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत राज्य में प्रभावी सिंचाई प्रबंधन एवं प्रभावी बाढ़ जोखिम प्रबंधन के लिए विश्व बैंक की सहायता से बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना तैयार की गई है जिससे राज्य के लगभग सभी क्षेत्र लाभान्वित होंगे।

बिहार में 1979 से बाढ़ के तबाही के इतिहास को देखें तो बिहार में अब तक 9000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं। वहीं 30000 मवेशियों की भी जान गई है। इसके अलावा 8 करोड़ हेक्टेयर से अधिक फसल को भी नुकसान हुआ। कुल नुकसान को देखें तो ये 9000 करोड़ से 10000 करोड़ तक का आकलन किया गया था। पिछले तीन सालों में बिहार में बाढ़ के कारण लगभग 970 लोगों की मौत हुई है। हालांकि आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाए है।

Web Title: Preparations to prevent floods through water management in Bihar flow of rivers will be reduced by creating an efficient irrigation system

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