पायलट रहित मेट्रो चलाने की तैयारी, 90 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति पर होगा ट्रायल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 16, 2019 02:02 PM2019-07-16T14:02:51+5:302019-07-16T14:02:51+5:30

ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) ट्रेन को अधिक गति पकड़ने नहीं देता, स्टेशनों के मुताबिक सही दिशा के ही दरवाजे खोलता है और दरवाजे में किसी भी प्रकार की अड़चन होने पर ट्रेन आगे नहीं बढ़ती. इसके जरिए ही कम दूरी के अंतर के साथ ही दो ट्रेनें चलाई जा सकती हैं. 

Preparation of pilotless metro operations, will be at maximum speed of 90 kmph. | पायलट रहित मेट्रो चलाने की तैयारी, 90 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति पर होगा ट्रायल

ऑटो ट्रेन ऑपरेशन सिस्टम होने की वजह से ट्रेन बगैर पायलट के ही चल सकती है.

Highlightsन को पहली बार सवारी के साथ अधिकतम 75 किमी प्रतिघंटा तक की गति पर चलाया गया. ट्रेन की अधिकतम गति 90 किमी प्रतिघंटा है

नागपुर में मेट्रो ट्रेन ऑपरेशन व सेफ्टी की सभी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इसे पायलट रहित चलाने की तैयारी चल रही है. इन गाडि़यों को इनकी अधिकतम गति 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर चलाकर ट्रायल लिया जा रहा है. कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) सिस्टम की वजह से यह संभव हो पाया है.

सोमवार की दोपहर 4 बजे सीताबर्डी के इंटरचेंज मेट्रो स्टेशन में इस सिस्टम को लेकर आयोजित पत्रकारवार्ता में नागपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर बृजेश दीक्षित ने बताया कि मेट्रो ट्रेन के संचालन में सेफ्टी व ऑटोमेशन की सभी अत्याधुनिक तकनीक अपनाई जा रही है. ऑटो ट्रेन ऑपरेशन सिस्टम होने की वजह से ट्रेन बगैर पायलट के ही चल सकती है.

हालांकि फिलहाल इस सिस्टम के मौजूद होने के साथ पायलट भी मौजूद रहेंगे. नए सिस्टम सभी उपयोगकर्ताओं के लिए स्वीकार्य होना चाहिए. उन्होंने बताया कि ट्रेन में संरक्षा से जुड़े हर पहलू पर ध्यान दिया गया है. इसके तहत ही पायलट के कैबिन में एक स्क्रीन दी गई है जिससे उसे पूरी ट्रेन के हर दरवाजों का दृश्य दिख सके. इसके अलावा साइड मिरर भी लगवाए जाएंगे.

सीबीटीसी के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए डायरेक्टर रोलिंग स्टॉल सुनील माथुर ने बताया कि सीबीटीसी ऐसा सिस्टम है जो पूरी तरह सिग्नलिंग आधारित है. ट्रेन में लगा एंटिना, ट्रैक पर लगी बैली के बीच सिग्नल्स का एक अदृश्य दायरा बना ही रहता है. इन्हीं की वजह से ट्रेन स्वत: ही रफ्तार पकड़ती है, स्टेशनों पर रुकती है और छूटती है. एक सिस्टम यदि काम नहीं भी करता तो विकल्प के रूप में दूसरा सिस्टम संचालन को शुरू रखने के लिए तैयार रहता है. 

ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) ट्रेन को अधिक गति पकड़ने नहीं देता, स्टेशनों के मुताबिक सही दिशा के ही दरवाजे खोलता है और दरवाजे में किसी भी प्रकार की अड़चन होने पर ट्रेन आगे नहीं बढ़ती. इसके जरिए ही कम दूरी के अंतर के साथ ही दो ट्रेनें चलाई जा सकती हैं. 

पत्रकारवार्ता के दौरान डायरेक्टर प्रोजेक्ट महेश कुमार, डायरेक्टर फाइनेंस एस. शिवमाथन, जीएम ओएंडएम सुधाकर उराड़े, जीएम (एडमिन) अनिल कोकाटे, ईडी रीच-1 देवेंद्र रामटेककर, ईडी रीच-2 महादेव स्वामी, ईडी रीच-3 अरुण कुमार, जीएम (ट्रैक) नरेश गुरबानी उपस्थित थे. 

पत्रकारवार्ता के बाद पत्रकारों को सीताबर्डी इंटरचेंज स्टेशन से एयरपोर्ट साउथ स्टेशन तक मेट्रो ट्रेन से सफर करवाया गया. इस दौरान ट्रेन को पहली बार सवारी के साथ अधिकतम 75 किमी प्रतिघंटा तक की गति पर चलाया गया. डायरेक्टर रोलिंग स्टॉक माथुर ने बताया कि ट्रेन की अधिकतम गति 90 किमी प्रतिघंटा है लेकिन सवारी के साथ इसे स्वीकृत 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर ही चलाया जाएगा. 

नए सिस्टम के फायदे -

एक सेक्शन पर कई ट्रेनें चलाई जा सकती हैं 
-ब्रेकिंग, स्टॉपिंग में सटीकता होगी 
-ऊर्जा की बचत होगी 
-ट्रेन ऑपरेशन का डेटा तैयार होगा 
-सीमेन्स इंडिया, जर्मनी व स्पेन की ओर से सॉफ्टवेयर कई हिस्सों में पहुंच रहा है. इनकी टेस्टिंग का सिलसिला जारी है. इसके माध्यम से एक काम के लिए सिस्टम में कई विकल्प मौजूद रहेंगे.

Web Title: Preparation of pilotless metro operations, will be at maximum speed of 90 kmph.

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