'भगत सिंह की किताब रखना कानूनन प्रतिबंधित नहीं', अदालत ने यूएपीए और राजद्रोह के दो आरोपियों को जमानत दी

By विशाल कुमार | Published: October 23, 2021 07:34 AM2021-10-23T07:34:20+5:302021-10-23T07:42:27+5:30

साल 2012 के इस मामले में नक्सलियों के साथ संबंध का आरोप लगाने के लिए पुलिस ने आरोपियों के पास से भगत सिंह की किताब, कुछ लेख और पेपर की कटिंग जब्त की थी. अदालत ने उन्हें यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके अपराध को साबित करने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं हैं.

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(फाइल फोटो)

Highlights 2012 में नक्सलियों को कथित रूप से छुपाने या पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.पुलिस ने भगत सिंह की किताब, कुछ लेख और पेपर की कटिंग जब्त की थी.अदालत ने कहा कि भगत सिंह की किताब रखना कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं है.

मेंगलुरु: गैरकानूनी गतिविधियां (निवारक) अधिनियम मामले में नक्सलियों से संबंध के आरोप में गिरफ्तार दो आदिवासी लोगों को मेंगलुरु की एक अदालत ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह की किताब रखना कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं है. 

अदालत ने आगे कहा कि अखबारों की कटिंग और लेख आरोपियों के खिलाफ अपराध को साबित नहीं करते हैं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, नक्सलियों के साथ संबंध का आरोप लगाने के लिए पुलिस ने आरोपियों के पास से भगत सिंह की किताब, कुछ लेख और पेपर की कटिंग जब्त की थी.

पुलिस ने 23 वर्षीय विट्टला मालेकुड़िया (तब एक पत्रकारिता छात्र) और उनके पिता लिंगप्पा मालेकुड़िया पर आईपीसी की धारा 120बी, 124ए के साथ यूएपीए, 1967 की धारा 19 और 20 के तहत मामला दर्ज किया था.

उन्हें 2012 में प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी)-पीपुल्स वॉर से संबंधित नक्सलियों को कथित रूप से छुपाने या पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीबी जकाती ने उन्हें यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके अपराध को साबित करने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं हैं.

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