जानिए केंद्र सरकार के अगले एजेंडे में एनआरसी-जनसंख्या नियंत्रण के अलावा और क्या है!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 15, 2019 07:53 AM2019-12-15T07:53:39+5:302019-12-15T08:05:35+5:30
हाल में गिरिराज सिंह ने जिस तरह अपने बयान में कहा कि कैब के बाद अब जनसंख्या को लेकर जल्द सरकार कोई कानून बना सकती है। इससे साफ हो गया है कि आने वाले समय में सरकार उन सभी मुद्दों पर बिल संसद में पेश कर सकती है जो उसके चुनावी वायदों का हिस्सा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को संसद के दोनों सदनों में बहुमत के साथ पास कराकर कानून के स्वरूप दे दिया है। इस बिल के पास होने के बाद भले ही देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहा हो लेकिन सरकार अब आगे की तैयारी में लग गई है। भाजपा सरकार विवादित बिल कैब के कानूनन बनने के बाद अब संसद में जनसंख्या नियंत्रण समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों से जुड़े बिल को संसद में पेश करने पर विचार कर रही है।
हाल में गिरिराज सिंह ने जिस तरह अपने बयान में कहा कि कैब के बाद अब जनसंख्या को लेकर जल्द सरकार कोई कानून बना सकती है। इससे साफ हो गया है कि आने वाले समय में सरकार उन सभी मुद्दों पर बिल संसद में पेश कर सकती है जो उसके चुनावी वायदों का हिस्सा रहा है।
यही वजह है कि विषम वित्तीय हालातों के बाद भी सरकार के मंत्री अपने राजनीतिक एजेंडा को लेकर बेबाक बयान देते हैं। सबसे पहले सरकार की कोशिश एनआरसी को देश के सभी राज्यों में लागू करना है। हालांकि, नागरिकता कानून के कारण इसका प्रतिकूल असर सामने आया है, लेकिन पार्टी की मानें तो जल्द ही सब सही हो जाएगा।
जनसंख्या नियंत्रण
सरकार के एजेंडे में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना भी है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लालकिले से अपने संबोधन में इसके संकेत दे चुके हैं। उन्होंने कहा था छोटा परिवार-सुखी परिवार होता है और इस तरफ बढ़ना होगा। इसमें भी विरोध तो होगा, लेकिन देश की बहुसंख्यक भावनाओं के साथ वह इस पर आगे बढ़ेगी। यह भी भाजपा के अहम मुद्दों में शामिल रहा है।
वन नेशन-वन इलेक्शन
सरकार के एजेंडे में एक और अहम मुद्दा एक देश एक चुनाव का है। पिछली सरकार इस मामले में प्रयास कर रही है। लेकिन, इस दिशा में सरकार के सामने अभी कई कठिनाइयां हैं। भाजपा की सोच थी कि एक-दो साल में अधिकांश राज्यों में उसकी अपनी, गठबंधन की और मध्यममार्गी दलों की सरकारें होंगी, तब उसे इसपर आगे बढ़ने में आसानी होगी, लेकिन राज्यों के चुनाव से यह संभव नहीं हो पा रहा है।
समान नागरिक संहिता
भाजपा व जनसंघ के लिए समान नागरिक संहिता बड़ा मुद्दा रहा है। अब संसद के दोनों सदनों के गणित में सरकार इस पर भी आगे बढ़ सकती है। हालांकि, इसमें कई संवैधानिक पेंच आ सकते हैं। विभिन्न धर्मों से जुड़े कानूनों में भी फेरबदल करना होगा। जब यह रास्ता साफ होगा, जब सभी धर्मों के लोगों की सहमती लेने में सरकार कामयाब हो जाती है। लेकिन, जब सरकार अनुच्छेद-370 पर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति दिखा चुकी है तो यह काम उससे ज्यादा मुश्किल नहीं है।