बिहार में कोरोना जैसी आपदा में भी जारी है सियासत, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने फिर साधा CM नीतीश कुमार पर निशाना, दागे कई सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: July 26, 2020 04:26 PM2020-07-26T16:26:30+5:302020-07-26T16:26:30+5:30
बिहार में 140 दिनों में प्रतिदिन जांच का औसत सिर्फ 3158 है. विगत 2 हफ़्तों से एंजिटन टेस्ट को छोड दें तो आज भी बमुश्किल 3000 जांच हो रही है. बिहार प्रदेश की जुलाई महीने में पॉजिटिव रेट 12.54 फीसदी है
पटना: बिहार में कोरोना जैसी आपदा पर भी सियासत जारी है. राज्य में बढ़ते कोरोना के संक्रमण, ईलाज की धीमी रफ्तार और अस्पतालों की कुव्यवस्था को लेकर राजनीति तेज हो गई है. विपक्ष कोरोना को लेकर प्रदेश की सरकार पर लगातार हमलावर है. विपक्ष द्वारा बार-बार कोरोना महामारी से निपटने को लेकर सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एकबार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बिहार में बाढ़ और कोरोना को लेकर स्थिति भयावह है. बिहार जैसे 12.60 करोड़ घनी आबादी वाले राज्य में अभी तक मात्र 0.35 प्रतिशत लोगों की जांच हुई है. प्रति 10 लाख आबादी पर मात्र 3508 लोगों की जांच हो रही है जो देश में सबसे कम है.
उन्होंने कहा है कि बिहार में 140 दिनों में प्रतिदिन जांच का औसत सिर्फ 3158 है. विगत 2 हफ़्तों से एंजिटन टेस्ट को छोड दें तो आज भी बमुश्किल 3000 जांच हो रही है. बिहार प्रदेश की जुलाई महीने में पॉजिटिव रेट 12.54 फीसदी है, जो देश में सबसे ज्यादा है. कोरोना से सिर्फ जुलाई महीने में अभी तक बिहार 25 दिनों में 159 लोगों की मौत हुई है. मतलब प्रतिदिन 6 लोगों की मौत हो रही. जो बिना जांच और इलाज मर रहे हैं, उनकी गिनती ही नहीं है. सरकार को आंकडों की बाजीगरी छोड अब तो गंभीर होना चाहिए. तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया के ट्वीटर अकाउंट पर एक के बाद एक तीन ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कई सवालों के जवाब मांगे हैं. उन्होंने ट्वीट किया है .....आरटी-पीसीआर टेस्ट्स की क्षमता क्यों नहीं बढाई जा रही? 4 महीनो में कई छोटे राज्यों ने काबिले तारीफ काम करते हुए अस्पतालों का क्षमतावर्धन किया. आपने एक भी नया अस्पताल क्यों नहीं बनाया? 15 साल बाद भी अस्पतालो में रुई और सुई के अलावा कोई और उपकरण क्यों नहीं है?
नेता प्रतिपक्ष ने आगे सवाल करते हुए पूछा है .....बिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में अभी तक मात्र 0.35 फीसदी लोगों की जांच हुई है. प्रति 10 लाख मात्र 3508 लोगों की जांच हो रही है जो देश में सबसे कम है. 140 दिनों में प्रतिदिन जांच का औसत सिर्फ 3158 है. विगत 2 हफ्तों से एंटीजेन टेस्ट्स को छोड दें तो आज भी बमुश्किल 3000 जांच हो रही है. बिहार की जुलाई महीने में पाजिटीव रेट 12.54 फीसदी है, जो देश में सबसे ज्यादा है. नेता प्रतिपक्ष ने लिखा है....कोरोना से सिर्फ जुलाई महीने में अभी तक 25 दिनों में 159 लोगों की मौत हुई है. मतलब प्रतिदिन 6 लोगों की मौत हो रही. जो बिना जांच और इलाज मर रहे हैं उनकी गिनती ही नहीं है. सरकार को अब तो गंभीर होना चाहिए. उन्होंने कहा है कि 4 महीनो में बिहार से कई छोटे राज्यों ने काबिले तारीफ़ काम करते हुए अपने राज्यों की अस्पतालों का क्षमतावर्धन किया. उन्होंने मेकशिफ्ट हॉस्पिटल्स बनाएं. मुख्यमंत्री जी, आपने इतने दिनों में एक भी नया अस्पताल क्यों नहीं बनाया? बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी दयनीय क्यों है कि आपके 15 साल के शासन के बाद भी अस्पतालो में रुई और सुई के अलावा जरूरी मेडिकल उपकरण उपलब्ध क्यों नहीं है?
उन्होंने कहा है कि आप इतने असहाय क्यों है कि आपके मंत्री और अधिकारी आपकी ही बात नहीं सुनते? आपदा के बीच आप काबिल अधिकारियों को दरकिनार कर नाकाम और भ्रष्ट अधिकारियों पर यकीन क्यों कर रहे हैं? आप जनप्रतिनिधियों से ज़मीनी फीडबैक प्राप्त क्यों नहीं करते? तेजस्वी यादव ने लिखा है कि आप देश के इकलौते ऐसे असफल मुख्यमंत्री रहे जो लॉकडाउन में अपने राज्यों के छात्रों, मजदूरों को वापस लाने में पूर्णतः नाकाम रहे. जो श्रमिक भाई वापस आए उनकी कोरोना जाँच करने, क्वारंटाइन करने, रोजगार और सहायता राशि देने में विफल रहे. शिक्षा, स्वास्थ्य और विधि व्यवस्था बर्बाद करने के बाद अब कोरोना काल और बाढ़ में आपके कुप्रबंधन की सारा देश चर्चा क्यों कर रहा है? विचारिए? माननीय मुख्यमंत्री जी, भूतकाल से निकल वर्तमान में आत्मचिंतन किजीए ताकि बिहार का भविष्य बचे और आने वाला कल उज्जवल रहे. सनद रहे आप 15 साल से शासन कर रहे हैं.