अश्विनी वैष्णवः गुजरात से पुराना नाता, वाजपेयी के निजी सचिव, पीएम मोदी से खास रिश्ता, जानिए नए रेल मंत्री के बारे में
By सतीश कुमार सिंह | Published: July 18, 2021 01:52 PM2021-07-18T13:52:57+5:302021-07-18T13:59:40+5:30
नौकरशाह-उद्यमी से नेता बने अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को देश के नए रेल मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाल लिया। नव नियुक्त मंत्री ने बाद में ट्विटर पर प्रधानमंत्री का आभार जताया।
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार किया है। प्रधानमंत्री ने दो साल पहले पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को सीधे विदेश मंत्री के रूप में पदोन्नत करके चौंका दिया था।
इस बार पीएम मोदी ने सबको चौंकाते हुए नौकरशाह-उद्यमी से नेता बने अश्विनी वैष्णव को रेल और संचार मंत्री बना दिया। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1994 बैच के पूर्व अधिकारी वैष्णव ने 15 वर्ष से अधिक समय तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं।
बड़ी वैश्विक कंपनियों में भी नेतृत्व भूमिकाएं निभायी
उन्हें खासतौर से बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की रूपरेखा बनाने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है जो उन्हें रेल क्षेत्र में भी मदद करेगा। उन्होंने जनरल इलेक्ट्रिक एंड सिमंस जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों में भी नेतृत्व भूमिकाएं निभायी हैं।
वैष्णव ने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर से एम.टेक किया है। उनके पास संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी के दो अन्य महत्वपूर्ण विभाग भी रहेंगे। वैष्णव ने प्रभार संभालते हुए कहा, ‘‘रेल क्षेत्र में पिछले 67 वर्षों में शानदार काम किया गया है। मैं यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के मुताबिक, इसे आगे ले जाने के लिए आया हूं।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कई सालों से करीबी
वैष्णव चर्चाओं से भले ही दूर रहे हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कई सालों से करीबी रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान से ही जानते हैं। इतना ही नहीं, उनका भावनगर से भी खास जुड़ाव रहा है।
रविशंकर प्रसाद और पीयूष गोयल जैसे नेताओं को हटाकर 50 वर्षीय वैष्णव को रेलवे, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के भारी विभागों के मंत्री के रूप में शामिल किया गया। ओडिशा में 1999 के सुपर साइक्लोन से निपटने में इनका योगदान अहम हैं।
पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव का नरेंद्र मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल होना बहुत सारे लोगों को चौंका गया, हालांकि उन्होंने दो साल पहले भी ओडिशा से भाजपा के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव जीत कर सबको सकते में डाल दिया था क्योंकि पार्टी के पास विधायकों की संख्या इतनी नहीं थी कि वह चुनाव जीत सकें।
बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक का समर्थन हासिल
राजस्थान के जोधपुर में पैदा हुए 51 वर्षीय वैष्णव 1994 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी रहे हैं। भाजपा में होने के बावजूद उन्होंने राज्यसभा चुनाव में ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक का समर्थन हासिल कर लिया। बीजद के भीतर कई नेताओं ने इसकी आलोचना की थी।
आरोप लगाए गए कि पटनायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दबाव में झुक गए और वैष्णव का समर्थन कर दिया। वैष्णव 28 जून, 2019 को हुए इस राज्यसभा चुनाव से सिर्फ छह दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए उन्होंने बालेश्वर और कटक जिलों के कलेक्टर की जिम्मेदारी निभाई।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव नियुक्त
साल 1999 में आए भीषण चक्रवात के समय उन्होंने बतौर नौकरशाह अपने कौशल का परिचय दिया और उनकी सूचना के आधार पर सरकार त्वरित कदम उठा सकी जिससे बहुत सारे लोगों की जान बची। वैष्णव ने 2003 तक ओडिशा में काम किया और फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव नियुक्त हो गए।
वाजपेयी जब प्रधानमंत्री पद से हटे तो वैष्णव को उनका सचिव बनाया गया। आईआईटी से पढ़ाई कर चुके वैष्णव ने 2008 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और अमेरिका के व्हार्टन विश्वविद्यालय से एमबीए किया। वापस लौटने के बाद उन्होंने कुछ बड़ी कंपनियों में नौकरी की और फिर गुजरात में ऑटो उपकरण की विनिर्माण इकाइयां स्थापित कीं। इसी साल अप्रैल में उन्हें भारतीय प्रेस परिषद का सदस्य नामित किया गया था।