मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी का कोरोना पर जोर, जानें 10 बड़ी बातें
By रजनीश | Published: March 29, 2020 11:17 AM2020-03-29T11:17:32+5:302020-03-29T11:17:32+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 63वीं बार मन की बात कार्यक्रम कर रहे हैं। हर महीने के आखिरी रविवार को पीएम मोदी इस मन की बात कर्यक्रम के जरिए जनता को संबोधित करते हैं। पीएम मोदी का इस बार के मन की बात कार्यक्रम में कोरोना वायरस पर पूरा जोर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीमन की बात कार्यक्रम के जरिए देश भर के लोगों को संबोधित कर रहे हैं। मन की बात का यह 63वां मौका है जब पीएम देश को संबोधित कर रहे हैं। कोरोना पर देश के नाम मोदी का यह तीसरा संबोधन है..
-जब लोग इतनी जिम्मेदारी दिखा रहे हैं तो उनके साथ ख़राब व्यवाहर करना कहीं से भी जायज नहीं है बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्वक सहयोग करने की आवश्यकता है।
-कोरोना वायरस से लड़ने का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग है, लेकिन हमें ये समझना होगा कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब सोशल इंटरैक्शन को खत्म करना नहीं है। वास्तव में ये समय अपने सभी पुराने सामाजिक रिश्तों में नई जान फूंकने का है, रिश्तों को तरो-ताजा करने का है।
-ऐसे लोग कोई अपराधी नहीं हैं बल्कि वायरस के संभावित पीड़ित भर हैं। इन लोगों ने दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए खुद को अलग किया है और quarantine में रह रहे हैं। कई जगह पर लोगों ने अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लिया है।
-मुझे कुछ ऐसी घटनाओं का पता चला है जिनमें कोरोना वायरस के संदिग्ध या फिर जिन्हें home quarantine में रहने को कहा गया है, उनके साथ कुछ लोग बुरा बर्ताव कर रहे हैं। ऐसी बातें सुनकर मुझे अत्यंत पीड़ा हुई है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
-आपने देखा होगा, बैंकिंग सेवाओं को सरकार ने चालू रखा है और बैंकिंग क्षेत्र के हमारे लोग पूरे लगन से, आपकी सेवा में मौजूद हैं। आजे के समय, ये सेवा छोटी नहीं है, उन बैंक के लोगों का भी हम जितना धन्यवाद करें उतना कम है।
-जरा सोचिये की आप lockdown के समय भी जो TV देश पा रहे हैं, घर में रहते हए जिस phone और internet का इस्तेमाल कर रहे हैं - उन सब को सुचारू रखने के लिए कोई न कोई अपनी जिंदगी खपा रहा है।
-जरा आप अपने पड़ोस में मौजूद छोटी परचून की दुकान के बारे में सोचिए, उन drivers, उन workers के बारे में सोचिये, जो बिना रुके अपने का में डटे हैं ताकि देश भर में आवश्यक वस्तुओं की suppy-chain में कोई रुकावट ना आये।
-आप जैसे साथी चाहे वो डॉक्टर हों, नर्स हों, पैरा मेडिकल, आशा, एएनएम कार्यकर्ता, सफाई कर्मचारी हो आपके स्वास्थ्य की भी देश को बहुत चिंता है। इसी को देखते हुए ऐसे करीब 20 लाख साथियों के लिए 50 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा की घोषणा सरकार ने की है।
-मानवता से भरी हुई हर नर्स को आज मैं नमन करता हूं। आप सभी जिस सेवा भाव से कार्य करते हैं वो अतुलनीय है, ये भी संयोग है कि वर्ष 2020 International year of the nurses and midwife के तौर पर मना रहा है।
-साथियों हमारे यहां तमाम साथी आपको, पूरे देश को इस संकट से बाहर निकालने में जुटे हैं। ये जो बाते हमें बताते हैं उन्हें हमें सुनना ही नहीं है, बल्कि उन्हें जीवन में उतारना भी है।
-धन और किसी खास कामना को लेकर नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए, दया भाव रखकर कार्य करता है, वो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है।
-मैं जानता हूं कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अभी भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे। अगर आप लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो वायरस से बचना मुश्किल होगा।
-हमारे यहां कहा गया है- 'एवं एवं विकार, अपी तरुन्हा साध्यते सुखं' यानि बीमारी और उसके प्रकोप में शुरुआत में ही निबटना चाहिए। बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं, तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है। आज पूरा हिन्दुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है।
-कुछ लोगों कू लगता है की वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानो जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं, ये भ्रम पालना सही नहीं है। ये लॉकडाउन आपले खुद के बचने के लिए है। आपको अपने को बचाना है, अपने परिवार को बचाना है।
-कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है। ये ज्ञान, विज्ञान, गरीब, संपन्न कमजोर, ताकतवर हर किसी को चुनौती दे रहा है। ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, न ही ये कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम।
-बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। मैं आपकी दिक्कतें समझता हूं, आपकी परेशानी भी समझता हूं लेकिन भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश को, कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए, ये कदम उठाए बिना कोई रास्ता नहीं था।
-सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूँ। और मेरी आत्मा कहती है की आप मुझे जरुर क्षमा करेंगे क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाईयां उठानी पड़ रही हैं।