ED और CBI प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाकर 5 साल किया, मोदी सरकार का बड़ा फैसला
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 14, 2021 05:38 PM2021-11-14T17:38:56+5:302021-11-14T19:30:14+5:30
सीबीआई और ईडी के निदेशक को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अधिनियम, 2003 द्वारा कार्यालय में दो साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया है।
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने रविवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए एक अध्यादेश पारित किया। इस समय सीबीआई प्रमुख सुबोध जायसवाल हैं और ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा हैं।
वर्तमान में सीबीआई और ईडी के निदेशक को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अधिनियम, 2003 द्वारा कार्यालय में दो साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार जल्द ही संसद में एक कानून पेश कर सकती है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष से अधिकतम पांच साल तक हो सकता है। सरकार ने रविवार को इस संबंध में दो अध्यादेश जारी किये। विनीत नारायण के प्रसिद्ध मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर सीबीआई और ईडी के निदेशकों की नियुक्ति की तारीख से उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश को 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी और मौजूदा प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख एस के मिश्रा की सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले जारी किया गया है। सरकार ने उनका दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2020 में एक और सेवा विस्तार दिया था।
The Government of India brings Ordinance to extend the tenure of Enforcement Directorate (ED) and Central Bureau of Investigation (CBI) Directors up to 5 years. pic.twitter.com/r6NZ8cLyJS
— ANI (@ANI) November 14, 2021
इस मामले में इस साल उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई जिसने सेवा विस्तार को रद्द नहीं किया, लेकिन सरकार से मिश्रा को 17 नवंबर के बाद और सेवा विस्तार नहीं देने को कहा। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि अध्यादेश लागू होने के बाद देखना होगा कि मिश्रा ईडी प्रमुख के रूप में काम करते रहेंगे या नहीं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अध्यादेश जो ‘‘एक बार में’’ लागू होता है, में कहा गया है: ‘‘बशर्ते जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, खंड (ए) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।’’ इसमें कहा गया है, "बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा।’’
ईडी निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार करती है। इसके सदस्यों में सतर्कता आयुक्त, गृह सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव तथा राजस्व सचिव शामिल हैं। सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) (संशोधन) अध्यादेश, 2021 भी जारी किया है और यह भी ‘एक बार में’ लागू होता है।
इस अध्यादेश में डीएसपीई कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि ‘‘बशर्ते जिस अवधि के लिए निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, धारा 44 की उप-धारा (1) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘बशर्ते प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लेखित अवधि समेत कुल पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।’’ सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है। सीबीआई और ईडी के प्रमुखों के लिए दो वर्ष के तय कार्यकाल का उद्देश्य उन्हें उनके द्वारा की गयी किसी जांच के लिए प्रतिकूल कार्रवाई की चिंता किये बिना सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होकर कार्य करना सुनिश्चित करना है।
(इनपुट एजेंसी)