लद्दाख में भारत-चीन तनाव के बीच PM मोदी ने रक्षा मंत्री, CDS सहित तीनों सेना प्रमुखों से की मुलाकात
By स्वाति सिंह | Published: May 26, 2020 07:02 PM2020-05-26T19:02:39+5:302020-05-26T19:24:27+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनो सेना प्रमुखों से मुलाकात की। जबकि, पहले ही वे विदेश सचिव से मुलाकात कर चुके हैं।इससे पहले उन्होंने विदेश सचिव से भी मुलाकात की थी।
नई दिल्ली: लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनो सेना प्रमुखों से मुलाकात की। जबकि, पहले ही वे विदेश सचिव से मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले उन्होंने विदेश सचिव से भी मुलाकात की थी।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी तीनों सेना प्रमुखों से मुलाकात कर हालात का जायजा लिया था। बैठकों का ये दौर ऐसे समय चल रहा है जब सिक्किम और लद्दाख में चीनी और भारतीय सैनिकों की झड़पें हुई हैं।
बता दें कि लद्दाख क्षेत्र के इलाके में चीन लगातार सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। उसके मद्देनजर भारत भी अपनी तैनाती को बढ़ाएगा। लद्दाख में बीते दिनों जो हुआ है, उसके बाद से ही सुरक्षा की दृष्टि से भारत ने अपनी नजर पैनी की है और हर एक कदम पर कड़ी निगाहें बनी हुई हैं।
डोकलाम के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच हो सकती है सबसे बड़ी सैन्य तनातनी
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है और 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है। उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों का कहना है कि भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है। इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है और वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है। नाम उजागर न करने की शर्त पर एक उच्च सैन्य अधिकारी ने कहा, “क्षेत्र में भारतीय सेना चीन से कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में है।”
गलवान घाटी में दरबुक शयोक दौलत बेग ओल्डी सड़क के पास भारतीय चौकी केएम-120 के अलावा कई महत्वपूर्ण ठिकानों के आसपास चीनी सैनिकों की उपस्थिति भारतीय सेना के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा (अवकाशप्राप्त) ने पीटीआई-भाषा से कहा, “यह गंभीर मामला है। यह सामान्य तौर पर किया गया अतिक्रमण नहीं है।”
लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ एवं चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांत ने भी लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा से सहमति जताई। उन्होंने कहा, “चीनी सैनिकों द्वारा कई बार घुसपैठ की गई है। यह चिंता की बात है। यह सामान्य गतिरोध नहीं है। यह परेशान करने वाला मामला है।” सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग त्सो, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में दोनों देश की सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए राजनयिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।