मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में PM ने स्थानीय भाषाओं पर दिया जोर, CJI ने कही ये बात

By मनाली रस्तोगी | Published: April 30, 2022 11:09 AM2022-04-30T11:09:57+5:302022-04-30T11:12:07+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को विज्ञान भवन में संबोधित किया। इस दौरान कई राजों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे। यही नहीं, सम्मेलन में पीएम मोदी और प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के साथ केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे।

PM Modi CJI addresses Joint Conference of chief ministers of states & Chief Justices of high Courts | मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में PM ने स्थानीय भाषाओं पर दिया जोर, CJI ने कही ये बात

मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में PM ने स्थानीय भाषाओं पर दिया जोर, CJI ने कही ये बात

Highlightsविज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को पीएम मोदी और प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने संबोधित किया।इस दौरान कई राजों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे।

नई दिल्ली: मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हम न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार और उन्नयन के लिए भी काम कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है। ई-कोर्ट परियोजना आज मिशन मोड में लागू की जा रही है।

अपनी बात को जारी रखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा। साल 2015 में हमने लगभग 1800 कानूनों की पहचान की जो अप्रासंगिक हो गए थे। इनमें से केंद्र ने 1450 ऐसे कानूनों को खत्म कर दिया। लेकिन, राज्यों द्वारा केवल 75 कानूनों को समाप्त किया गया है। बता दें कि इस दौरान प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण भी मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए नजर आए।

उन्होंने कहा कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए। अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी। यदि नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करती हैं, यदि पुलिस ठीक से जांच करती है और अवैध हिरासत में यातना समाप्त होती है, तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं है। संबंधित लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को शामिल करते हुए गहन बहस और चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए। 

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने आगे कहा कि अक्सर कार्यपालकों के गैर-प्रदर्शन और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है जो परिहार्य हैं। जनहित याचिका (पीआईएल) के पीछे अच्छे इरादों का दुरुपयोग किया जाता है क्योंकि इसे परियोजनाओं को रोकने और सार्वजनिक प्राधिकरणों को आतंकित करने के लिए 'व्यक्तिगत हित याचिका' में बदल दिया गया है। यह राजनीतिक और कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों के साथ स्कोर तय करने का एक उपकरण बन गया है।

बता दें कि विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में पीएम मोदी और प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के साथ केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे। इस दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू, मेघालय के सीएम कोनराड संगमा और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

Web Title: PM Modi CJI addresses Joint Conference of chief ministers of states & Chief Justices of high Courts

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