दिल्ली हाईकोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए दायर हुई याचिका, कहा गया- 'यह संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 25, 2022 03:56 PM2022-07-25T15:56:11+5:302022-07-25T15:59:44+5:30

दिल्ली हाईकोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन के संबंध में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि डर-भय के कारण या फिर किसी षड्यंत्र या छलावे के जरिये किये जाने वाला जबरिया धर्म परिवर्तन संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है।

Petition filed in Delhi High Court to ban forced conversion, says it is a violation of the principles of secularism of the Constitution | दिल्ली हाईकोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए दायर हुई याचिका, कहा गया- 'यह संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है'

फाइल फोटो

Highlightsजबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में दायर हुई पीआईएलदिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ दायर की गई जबरिया धर्म परिवर्तन संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है

दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि वो केंद्र और दिल्ली सरकार को आदेश दे कि वो लोगों को डरा कर, धमका कर, धोखा देकर या फिर काला जादू और अंधविश्वास के जरिये होने वाले जबरिया धर्म परिवर्तन पर रोक लगाये।

हाईकोर्ट में इस जनहित याचिका को दायर करने वाले याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय का कहना है कि डर-भय के कारण या फिर किसी षड्यंत्र या छलावे के जरिये किये जाने वाला जबरिया धर्म परिवर्तन न केवल संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है, बल्कि यह संविधान की मूल भावना से जुड़ी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।

इसके साथ ही उपाध्याय की याचिका में इस बात का भी दावा किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें काला जादू अंधविश्वास और छल पूर्वक किये जाने वाले धर्म परिवर्तन को रोकने में विफल रही हैं, जबकि संविधान के अनुच्छेद 51 ए के तहत यह उनकी जिम्मेदारी है। अनुच्छेद 51ए केंद्र को इस बात का भी निर्देश देता है कि वो धर्म परिवर्तन के संबंध में होने वाले बदलाव के संदर्भ में सुझाव देने के लिए एक समिति नियुक्त करे या भारतीय दंड संहिता का चेप्टर XV तहत धर्म परिवर्तन अधिनियम का मसौदा तैयार करे।

याचिका में दी गई दलील यह भी कहती है कि जबरिया धर्म परिवर्तन से देश की जनता को बहुत नुकसान हो रहा है। आज की तारीख में एक भी ऐसा जिला नहीं बचा है, जहां काला जादू, अंधविश्वास या जबरिया धर्म परिवर्तन न हो रहा हो। लगभग हर दिन बड़े पैमाने पर जबरिया धर्म परिवर्तन की घटनाएं सामने आ रही हैं और इसके लिए डराने, धमकाना, प्रलोभन या गिफ्ट या फिर पैसों का लालच देकर काला जादू, अंधविश्वास और चमत्कार के नाम पर ऐसा किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया है कि संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत केंद्र और राज्य के पास इस मामले में महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा यह अनुच्छेद 25 के तहत अंतःकरण की स्वतंत्रता, स्वतंत्र पेशा, उसकी प्रैक्टिस, धर्म के प्रचार के साथ सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य के संबंध में भाग III के प्रावधानों के अधीन हैं।

कोर्ट के सामने अपनी मांग रखते हुए याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान द्वारा प्रदत्त नीति निर्देशक सिद्धांत सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक न्याय को सुरक्षित करने के लिए सकारात्मक निर्देश देते हैं, जिसमें विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, विश्वास और पूजा की स्वतंत्रता, स्थिति और अवसर की समानता और उनके बीच बिरादरी को बढ़ावा देना, व्यक्तिगत गरिमा, एकता और अखंडता का आश्वासन देना है। हालांकि, संविधान की प्रस्तावना और उसके भाग III में उल्लिखित उच्च आदर्शों को सुनिश्चित करने के लिए न तो केंद्र सरकार ने और न ही राज्य ने कोई आवश्यक कदम उठाए हैं।

Web Title: Petition filed in Delhi High Court to ban forced conversion, says it is a violation of the principles of secularism of the Constitution

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