नागरिकता विधेयक के तहत आने वाले लोगों को 25 साल तक मताधिकार नहीं मिले: शिवसेना
By भाषा | Published: December 9, 2019 08:52 PM2019-12-09T20:52:39+5:302019-12-09T20:52:39+5:30
‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना सांसद विनायक राउत ने कहा कि उनकी पार्टी इस पक्ष में है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को यहां सम्मान दिया जाए, लेकिन इसमें श्रीलंका में पीड़ा झेलने वाले तमिलों को भी शामिल किया जाए।
शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर सरकार से कई बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग करते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा कि जिन लोगों को इस विधेयक के अमल में आने पर नागरिकता मिलने वाली है, उन्हें 25 साल तक मताधिकार नहीं दिया जाए।
‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना सांसद विनायक राउत ने कहा कि उनकी पार्टी इस पक्ष में है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को यहां सम्मान दिया जाए, लेकिन इसमें श्रीलंका में पीड़ा झेलने वाले तमिलों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से कितने लोग भारत में आए और इस विधेयक के पारित होने के बाद कितने लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
राउत ने कहा कि देश बहुत मुश्किलों का सामना कर रहा है और ऐसे में इन लोगों को नागरिकता देने से देश पर कितना बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर विषय पर कुछ राजनीति नहीं हो रही है तो जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी उन्हें 25 साल तक मताधिकार नहीं मिलना चाहिए। शिवसेना नेता ने यह भी पूछा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद कितने कश्मीरी पंडितों को वहां बसाया गया है।
द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने आरोप लगाया कि इस सरकार का हर कदम एक समुदाय के खिलाफ है और इस समुदाय के बीच डर का माहौल है। उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी देशों के डर के चलते ईसाई समुदाय को इस विधेयक के दायरे में लाया गया है। मारन ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नाकाम होने के बाद सरकार इस तरह के ‘विभाजनकारी’ कदम उठा रही है।
तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह सरकार स्वामी विवेकानंद, सरदार पटेल और दूसरे महापुरुषों के सिद्धांतों एवं विचारों के खिलाफ कदम उठा रही है। उन्होंने एनआरसी और नागरिकता विधेयक दोनों की आलोचना की । बनर्जी ने कहा कि बंगालियों के खिलाफ किसी भी कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मिथुन रेड्डी ने कहा कि पाकिस्तान के बोहरा और अहमदिया समुदायों तथा श्रीलंका के तमिलों को भी इस विधेयक के दायरे में लाया जाए।