लद्दाख की जनता ने भरी हुंकार, स्टेटहुड के साथ अब चाहिए दो लोकसभा और एक राज्यसभा की सीटें
By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 26, 2022 12:57 PM2022-11-26T12:57:05+5:302022-11-26T12:59:59+5:30
ताजा घटनाक्रम में लद्दाख आटोनोमस हिल डिवेलपमेट काउंसिल अर्थात एलएएचडीसी के कांउसलरों ने चार सूत्रीय प्रस्ताव पारित करते हुए आंदोलन को नए शिखर पर पहुंचाने की चेतावनी व धमकी भी दी है।
जम्मू: 30 साल तक यूटी पाने को आंदोलन करने वाले लद्दाखी तीन साल में ही यूटी से उकता गए हैं। अब उन्होंने पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए जो हुंकार भरी है उसमें वे अब लद्दाख के दोनों संभागों - लेह और करगिल- के लिए एक-एक लोकसभा सीट के अतिरिक्त राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व चाहते हैं।
ताजा घटनाक्रम में लद्दाख आटोनोमस हिल डिवेलपमेट काउंसिल अर्थात एलएएचडीसी के कांउसलरों ने चार सूत्रीय प्रस्ताव पारित करते हुए आंदोलन को नए शिखर पर पहुंचाने की चेतावनी व धमकी भी दी है। हालांकि पिछले महीने इस मुद्दे पर लद्दाख में हुई हड़ताल के बाद कई लद्दाखी नेताओं को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नौकरियों आदि में स्थानीय युवकों को अधिकार व प्राथमिकताएं देने के अतिरिक्त कई अन्य खुश करने वाले कदमों की घोषणा की थी पर लद्दाखी इससे संतुष्ट नहीं हुए हैं।
करगिल के एलएएचडीसी के कार्यकारी काउंसलर इंजीनियर फुनचोक ताशी द्वारा लाए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया गया है। इसका समर्थन ताई सुरू इलाके के काउंसलर सईद अब्बास रिजवी ने किया था। चार सूत्रीय प्रस्तावों में सबसे बड़ी मांग लद्दाख को राज्य का दर्जा देकर लद्दाखियों को लोकतांत्रिक अधिकार देने की मांग की गई है। प्रस्ताव के मुताबिक, लद्दाख बहुत ही महत्वपूर्ण इलका होने के कारण विशेष ध्यान देने की मांग करता है। उनका कहना था कि लद्दाखी यूटी में घुटन महसूस कर रहे हैं इसलिए राज्य का दर्जा देना बहुत जरूरी है।
यही नहीं जमीन, नौकरियों आदि पर भी सिर्फ स्थानीय लोगों का अधिकार होने की मांग करने वाले कहते थे कि लद्दाख की जनता का प्रतिनिधित्व देश की लोकसभा में होना जरूरी है जिसके लिए दो लोकसभा सीटें भी दी जाएं। जिसमें एक करगिल के लिए हो और दूसरी लेह के लिए। तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य का हिस्सा होते हुए लद्दाख से सिर्फ एक ही सांसद चुन कर आता रहा था। साथ ही राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व मांगा गया है।
यह तो कुछ भी नहीं प्रस्ताव के अंत में यह भी मांग की गई है कि लद्दाख का अपना लोकसेवा आयोग होना चाहिए तथा लद्दाख के सभी राजपत्रित अधिकारी भी स्थानीय ही होने चाहिए।