विशेषज्ञ ने कहा-कम दोषसिद्धि दर, ढीली जांच जैसे कारणों से हैदराबाद मुठभेड़ पर लोग हो रहे खुश
By भाषा | Published: December 7, 2019 06:14 AM2019-12-07T06:14:38+5:302019-12-07T06:14:38+5:30
मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इबहास) के निदेशक डॉ. निमेश जी देसाई ने कहा कि समाज के धड़े से आयी प्रतिक्रिया से उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई ।
हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने पर लोगों की सराहना की व्याख्या करते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि दोषसिद्धि की कम दर, सुस्त जांच प्रक्रिया, लंबे समय तक मुकदमे चलने के कारण दुष्कर्म के 70 प्रतिशत मामले न्यायिक प्रणाली में उपेक्षित रह जाते हैं।
उनका कहना है कि पुलिसिया कार्रवाई की सराहना मौजूदा सिस्टम में लोगों की आस्था घटने को भी प्रदर्शित करता है । सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए इंसाफ मिलना एक लंबी प्रक्रिया बन चुकी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में देश में दुष्कर्म मामलों में दोषसिद्धि की दर बहुत कम 32.2 प्रतिशत थी ।
वर्ष 2017 में दुष्कर्म के कुल 1,46,201 मुकदमे चले, लेकिन इनमें से केवल 5,822 में ही दोषसिद्धि हो पायी । मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इबहास) के निदेशक डॉ. निमेश जी देसाई ने कहा कि समाज के धड़े से आयी प्रतिक्रिया से उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई । उन्होंने कहा ये प्रतिक्रियाएं दिखाती है कि मौजूदा तंत्र में भरोसा घट रहा है और यह धारणा बन रही है कि कार्रवाई एकमात्र रास्ता है ।