पीपल बाबा ने पेश किया अनूठा मिशाल, बताया कैसे वर्षा जल को सरंक्षित कर वर्षों तक किया जा सकता है उपयोग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 13, 2020 02:40 PM2020-09-13T14:40:09+5:302020-09-13T14:42:14+5:30

पीपल बाबा देश के हर नागरिक को पर्यावरण संवर्धन कार्य से जोड़ने हेतु हरियाली क्रांति का आधार तैयार कर रहे हैं, पीपल बाबा के इस अभियान से देश के हर हिस्सों से लोग जुड़ रहे हैं  |

Peepal Baba presented a unique example, told how rain water can be preserved and used for years | पीपल बाबा ने पेश किया अनूठा मिशाल, बताया कैसे वर्षा जल को सरंक्षित कर वर्षों तक किया जा सकता है उपयोग

पीपल बाबा ने पेश किया अनूठा मिशाल, बताया कैसे वर्षा जल को सरंक्षित कर वर्षों तक किया जा सकता है उपयोग

Highlightsपेड़ पौधों को पानी पिलाने के लिए जलसंरक्षण की अनूठी तकनीकी अपनायी हैंपीपल बाबा ने उत्तर प्रदेश में जंगलों के विकास के लिए 30 तालाब बनाएं हैं |

देश के प्रख्यात पर्यावरण कर्मी पीपल बाबा ने गिरते जलस्तर और पानी के टैंकरो की अनुपलब्धता के बीच जंगलों के बीच पेड़ पौधों को पानी पिलाने के लिए जलसंरक्षण की अनूठी तकनीकी अपनायी हैं |पीपल बाबा ने जलसंरक्षण के लिए जंगलों के बीच हर ढलान वाली जगह के सबसे निचले विन्दु पर तालाब और जंगलों के बीच ढेर सारी जगहों पर  छोटे छोटे गड्ढे बनाया है, जिसमें आसानी से पानी जमा होता रहता है 3-4 साल में जलस्तर काफ़ी ऊपर आ जाता है गर्मियों में ये छोटे गड्ढे तो सूख जाते हैं लेकिन तालाबों में लबालब  पानी भरा रहता है | जंगलों के बीच जगह- जगह पर छोटे गड्ढ़े इसलिए खोदे जाते हैं क्यूकि दूर तालाब और नल से पानी लाने में समय कम लगे 
 
 पीपल बाबा कहते हैं कि जिस दिन  से  जंगल लगाने का कार्य शुरू होता है उसी दिन  से इन जंगलों के सबसे ढलान वाली ऐसी जगह पर तालाब बनाने की  प्रक्रिया की शुरुआत हो  जाती है जहाँ पर चारों तरफ से पानी आकर रुके और इस तालाब के एंट्री पॉइंट्स पर अम्ब्रेला  पोम  (अम्ब्रेला पोम पूरे विश्व में पाया जाता है लेकिन जापानी लोग इसका खूब उपयोग करते हैं |) के पौधे लगाए जाते हैं इन पौधों की जड़ो से होकर गुजरने पर यह जल शुद्ध हो जाता है | 3-4 सालों में वर्षा जल प्राप्त करते हुए ये तालाब सालों साल पानी से भरे रहने लगते हैं इसका कारण हर साल हो रहे जलसंचयन की वजह से जमीन का  जलस्तर काफ़ी ऊँचे उठ जाता है | और भूमिगत जल से ये तालाब हमेशा स्वतः चार्ज होते रहते हैं | 

तालाब में जल के आने का मार्ग 
 
 मानसून का मौसम चल रहा है | इस मौसम में होने वाले  झमाझम बारिश पेड़ पौधों से लेकर जीव जंतुओं सबके लिए अनुकूल होता है | इस मौसम में  पृथ्वी के सभी जंतुओं और वनस्पतियों का खूब विकास होता है | इस मौसम में अगर हम थोड़ी सक्रियता बरतें तो इसका फायदा सालों साल उठाया जा सकता है जी हाँ बरसात के मौसम में अगर हम जल संरक्षण का काम करें तो भूमिगत जल को ऊपर उठाया जा सकता है साथ ही साथ सालों साल जल की कमी को  दूर किया जा सकता है | लेकिन हर साल गिर रहे जलस्तर के बीच इंसान मोटर , समर्सिबल पंप, और इंजन लगाकर  जमीन से पानी खींचकर अपना काम चला रहे हैं | जलसंचयन के लिए कार्य  न होने की वजह से बर्षा का जल नालियों के रास्ते नदियों में होते हुए समुद्र में विलीन हो जाता है | वर्षा जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन की तमाम तकनीकियां पूरी दुनियां में उयलब्ध हैं लेकिन इन तकनीकियों का प्रयोग करने वालों की संख्या काफ़ी कम है | ऐसे प्रयोगों को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है | 
 
देश में जल संसाधन मंत्रालय जल के विकास के लिए निरंतर कार्य कर रहा है | इन सरकारी विभागों के अलावा देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो जल संरक्षण के लिए अनोखे विधियों से जल संरक्षण के कार्य में लगे हैं | इन सबमें भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जंगलों के बीच तालाबों का निर्माण करके पौधों को पानी पिलानें का कार्य किया जाता है | इस सन्दर्भ में देश के नामी पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा नें तालाब निर्माण के एक अनोखे विधि का विकास किया है जो घटते जलस्तर के बीच जलस्तर को बढ़ाने के लिए काफी प्रासंगिक है | 
 
 जंगलों के विकास के लिए तालाब बनाने क्यों हैं जरूरी?
 
जैसे जैसे पेड़ बढ़ते हैं इन पेड़ों के बीच वाटर टैंकरों के आने की संभावना घटती जाती है| इसीलिए तालाब और हैंडपम्प की जरूरत होती है | पीपल बाबा  की टीम के अहम् सदस्य जसवीर मलिक बताते हैं कि कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो पानी के टैंकर बाहर से आने बंद हो गए और प्रचंड गर्मियों में जंगलों के बीच के तालाबों से  ही पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की गई |
 
 गौरतलब है कि पीपल बाबा देश के हर नागरिक को पर्यावरण संवर्धन कार्य से जोड़ने हेतु हरियाली क्रांति का आधार तैयार कर रहे हैं, पीपल बाबा के इस अभियान से देश के हर हिस्सों से लोग जुड़ रहे हैं  | जल संरक्षण के सन्दर्भ में यह बात दीगर है कि पीपल बाबा ने उत्तर प्रदेश में जंगलों के विकास के लिए 30 तालाब बनाएं हैं | पिछले दशक में पीपल बाबा ने उत्तर प्रदेश में नॉएडा के सोरखा गाँव, ग्रेटर नॉएडा के मेंचा और लखनऊ के रहीमाबाद में 15-15 एकड़ के 3 विशाल जंगलों के विकास का कार्य कर रहे हैं | अबतक पूरे देश में पीपल बाबा के नेतृत्व में 2.1 करोड़ से ज्यादे पेड़ लगाए जा चुके हैं इनमें से सबसे ज्यादे पीपल के 1 करोड़ 27 लाख उसके बाद नीम, शीशम.. आदि के पेड़ हैं | पीपल बाबा के पेड़ लगाओ अभियान से अब तक 14500 स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं और इनका कारवां देश के 18 राज्यों के 202 जिलों तक पहुँच चुका है | पीपल बाबा आने वाले समय देश के हर व्यक्ति को हरियाली क्रांति से जोड़कर देश पूरे देश को हरा भरा बनाना चाहते हैं इसके लिए पीपल बाबा की team देश में अनेक अभियान चलाने जा रही है | इसी कड़ी में आगामी सितंबर महीने की 1 तारीख से 30 तारीख तक हरिद्वार के ऋषिकेश में पीपल बाबा नीम अभियान चलाने जा रहे हैं |

Web Title: Peepal Baba presented a unique example, told how rain water can be preserved and used for years

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