राज्यसभा में संविधान की कॉपी फाड़ने वाले पीडीपी सांसदों पर गिरेगी गाज, सभापति नायडू ने लिया ये फैसला
By हरीश गुप्ता | Published: August 24, 2019 07:43 AM2019-08-24T07:43:22+5:302019-08-24T07:43:22+5:30
गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त को जब राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयक पेश किए तो पीडीपी के दोनों सांसदों ने न केवल संविधान के पन्ने बल्कि अपने कपड़े भी फाड़ डाले.
इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा चैंबर में संविधान की कॉपी फाड़कर सुर्खियां बटोरने वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के दो सांसदों पर कार्यवाई की तलवार लटकी हुई है. सांसद नजीर अहमद लवाय और मीर मोहम्मद फैयाज ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले के विरोध में यह किया था. सदन में उनकी ऐसी हरकत के खिलाफ कार्रवाई करने के मकसद से सभापति एम. वैंकेया नायडू ने इस मामले को संसद की आचार संबंधी (एथिक्स) समिति को भेजने का फैसला किया था. हालांकि सदन को इन दोनों सांसदों को बर्खास्त करने की शक्ति है, लेकिन सभापति ने निर्णय लिया कि उनके आचरण को एथिक्स कमेटी देखे. भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. विनय सहस्रबुद्धे एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष हैं.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यहां बताया कि विदेश दौरे पर रवाना होने से पहले सभापति नायडू ने इस मामले को एथिक्स कमेटी को भेज दिया था. गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त को जब राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयक पेश किए तो पीडीपी के दोनों सांसदों ने न केवल संविधान के पन्ने बल्कि अपने कपड़े भी फाड़ डाले. सांसद नजीर अहमद को ऐसा नहीं करने के लिए कहा गया, लेकिन वह पन्नों को फाड़ना जारी रखा. दूसरे सांसद फैयाज ने अपना कुर्ता फाड़ दिया.
चूंकि इस घटना के दो दिनों के बाद राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई इसलिए 7 अगस्त तक निलंबित करने के सिवाय उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकी. इसी बीच, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने दोनों सांसदों को जम्मू-कश्मीर पर केंद्र के फैसले के विरोध में इस्तीफा देने के लिए कहा. श्रीनगर में यात्रा पर पाबंदी का हवाला देते हुए दोनों को दिल्ली में रखा गया है. हालांकि, दोनों सांसदों ने महबूबा के निर्देश के बाद भी संसद से इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि महबूबा को जम्मू-कश्मीर के अन्य नेताओं की भांति नजरबंद कर दिया गया.
नजीर और फैयाज ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है क्योंकि वे महबूबा की उनके इस्तीफे देने की इच्छा से संबंधित मीडिया रिपोर्ट का सत्यापन करना चाहते हैं. इनमें से एक ने यह भी कहा कि कुछ अन्य सांसदों ने उन्हें बताया कि इस्तीफा किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा.
तीन तलाक विधेयक के खिलाफ वोटिंग नहीं
दिलचस्प बात यह है कि पीडीपी के दोनों सांसदों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए तीन तलाक विधेयक के खिलाफ वोटिंग नहीं की. हालांकि इससे पहले कि महबूबा उनके खिलाफ कार्रवाई कर पातीं, संसद में जम्मू-कश्मीर से संबंधित विधेयक आ गए और पूरी तरह से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई.