गंगा नदी में सैकड़ों की संख्या में शवों को मिलने से पटना हाईकोर्ट हुआ गंभीर, सरकार से मांगा जवाब
By एस पी सिन्हा | Published: May 12, 2021 09:18 PM2021-05-12T21:18:54+5:302021-05-12T21:18:54+5:30
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए बक्सर के पास गंगा नदी में पाए गए शवों के संबंध में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
बिहार में जारी कोरोना की महामारी के बीच बक्सर में गंगा नदी में सैकडों की तादाद में शवों के मिलने का मामला अब गर्मा गया है। अब पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सरकार से जवाब मांग लिया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कल तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट में कोरोना महामारी के मामले पर सुनवाई जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोर्ट ने नदी में लाश मिलने को परेशान करने वाला करार देते हुए सरकार से जानना चाहा कि इस मामले में क्या किया गया है? इसपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को सूचित किया कि बिहार सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और बक्सर और कैमूर के जिलाधिकारियों ने यूपी के बलिया और गाजीपुर जिले में अपने समकक्षों से बात की है ताकि ऐसी किसी भी स्थिति की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बक्सर और कैमूर में पॉजिटिविटी रेट लगभग 2-3 प्रतिशत है। यूपी के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, बक्सर और कैमूर के डीएम, जिन्होंने बलिया और गाजीपुर का दौरा किया, को 'डोम राजा' (श्मशान घाट के प्रभारी) द्वारा सूचित किया गया कि 40 शवों को नदी में फेंक दिया गया था क्योंकि की लोगों ने शव का अंतिम संस्कार नहीं किया। अधिकारियों के पास उसका वीडियो भी है। बिहार सरकार ने भी नदी में महाजाल का उपयोग किया है। हालांकि, खंडपीठ ने जानना चाहा कि शवों का क्या हुआ और क्या उनका धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया?
खंडपीठ ने ग्रीन ट्रिब्यूनल का भी हवाला दिया जो नदी में फेंके गए शवों के मामले को देखे। महाधिवक्ता ललित किशोर संबंधित अधिकारियों से इस मामले पर पूरी जानकारी लेने के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट में एक विस्तृत जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि शवों का पोस्टमॉर्टम करने के बाद उन्हें दफनाया गया क्योंकि उनकी खराब स्थिति के कारण उनके धर्म की पहचान करना मुश्किल था। उन्होंने कहा कि यह पता लगाना भी मुश्किल है कि शव कोविड के शिकार थे या नहीं?
वहीं, बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया है कि उसने एक बारह सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी कोविड प्रबंधन के लिए राज्य सरकार को विशेष राय और परामर्श देगी। जबकि एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पांडे ने कोर्ट को बताया कि पीएचसी और रेफरल अस्पतालों में ऑक्सीजन की व्यवस्था करना आवश्यक है। ऑक्सीजन के अभाव में मरीज पटना और अन्य शहरों में भाग रहे हैं। इस दौरान कोर्ट में राज्य सरकार ने एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की। सरकार ने इसमें कोरोना को रोकने और मरीजों के इलाज के लिए की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा दिया है। वहीं केंद्र सरकार ने राज्य को और ऑक्सीजन मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। कल भी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
वहीं पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में कम से कम 25 शव मिले हैं। बक्सर के डीएम ने कहा है कि अधिकतर लाशें उत्तर प्रदेश से बहकर यहां आई हैं, इसलिए बॉर्डर स्थित रानीघाट पर इस छोर से उस पार तक महाजाल लगाया गया है ताकि यूपी से बहकर लाशें जिले में नहीं आ सकें। इसको लेकर यूपी शासन से भी संपर्क किया गया है। इसके साथ ही सभी घाटों पर एक-एक कर्मी की तैनाती करने का भी निर्देश दिया गया, जो घाटों पर शवों का जल प्रवाह करने वालों को रोकेंगे।
वहीं, सभी शवों को सैंपल लेने के बाद श्मशान के पास गड्ढे में दफन करा दिया। अब इन सभी शवों के सैंपल की फोरेंसिक जांच करायी जायेगी, ताकि यह पता चले कि शव कोविड पॉजिटिव थे या नेचुरल डेथ वाले। वहीं, यह भी सख्त निर्देश दिया गया है कि श्मशान पर पहुंचने वाले सभी शवों को हर हाल में जलाना है। किसी भी शव का जल प्रवाह नहीं किया जायेगा।