सारण के बाद अब लालू परिवार के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी पाटलिपुत्र, राजद ने झोंकी अपनी पूरी ताकत
By एस पी सिन्हा | Published: May 11, 2019 08:03 PM2019-05-11T20:03:04+5:302019-05-11T20:03:04+5:30
2009 के बाद लालू परिवार का कोई सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाया है. पाटलिपुत्र सीट से लालू-राबड़ी की बड़ी संतान मीसा भारती मैदान में हैं. वह अभी राज्यसभा की सदस्य हैं. 2014 में उन्होंने सफलता नहीं मिली थी. पिछले बार और इस बार भी उनका मुकाबला भाजपा के रामकृपाल यादव से है.
सारण के बाद अब लालू परिवार के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी पाटलिपुत्र पर राजद ने पूरी ताकत झोंक दी है. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाल रही हैं. आंचल फैला कर राबड़ी देवी वोट मांग रही हैं. यहां सांतवें चरण में 19 मई को चुनाव होना है. इस तरह पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार रोचक होता जा रहा है.
पाटलिपुत्र के मैदान में एक-दूसरे को चुनौती दे रहे चाचा रामकृपाल यादव और भतीजी मीसा भारती अब एक-दूसरे के आधार वोट में सेंध लगाने की जुगत में हैं. इसी रणनीति के तहत तीन दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो मसौढ़ी में कराया गया, जबकि 15 को पालीगंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की तैयारी है. वहीं, तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव भी चुनाव प्रचार में उतर गये हैं.
लालू परिवार के लिए बना नाक का सवाल
2009 के बाद लालू परिवार का कोई सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाया है. पाटलिपुत्र सीट से लालू-राबड़ी की बड़ी संतान मीसा भारती मैदान में हैं. वह अभी राज्यसभा की सदस्य हैं. 2014 में उन्होंने सफलता नहीं मिली थी. पिछले बार और इस बार भी उनका मुकाबला भाजपा के रामकृपाल यादव से है. रामकृपाल यादव की गिनती कभी लालू प्रसाद यादव के प्रमुख सलाहकारों में होती थी. 2014 में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने राजद छोड़ भाजपा का थामन थाम लिया था और उन्हें सफलता भी मिली थी.
ऐसे में पाटलिपुत्र सीट लालू परिवार के लिए नाक का बाल बन गया है. परिसीमन के बाद 2009 में हुए चुनाव में लालू प्रसाद यहां से खुद चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गये थे. हालांकि, सारण से जीतकर लोकसभा पहुंचने में सफल हो गये थे. बाद में सजायाफ्ता होने के कारण उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी. मीसा भारती स्वयं तो प्रचार मैदान में जूझ ही रही हैं. उनकी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी बेटी के लिए घुम- घुम कर वोट मांग रही हैं.
तेजस्वी और तेजप्रताप कर रहे हैं प्रचार
दोनों भाई तेजप्रताप व तेजस्वी भी वोट मांग रहे हैं. पार्टी के स्थानीय विधायकों को भी प्रचार कार्य में लगाया गया है. महागठबंधन के अन्य घटक दल के नेता भी मीसा के लिए वोट मांग रहे हैं. राजद के प्रदेश प्रवक्ता व मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि पाटलिपुत्र की जनता जागरूक है. वह महागठबंधन के पक्ष में वोट करेगी. बालू बंदी से सबसे अधिक प्रभाव पाटलिपुत्र क्षेत्र में ही पड़ा था.
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद गठित इस लोकसभा क्षेत्र के पिछले दो लोकसभा चुनाव के रिकॉर्ड को देखें तो साफ है कि मसौढ़ी, मनेर और पालीगंज विधानसभा में भाजपा पिछड़ती दिख रही है. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने मसौढ़ी और मनेर में खासी बढ़त ली थी, वहीं वर्ष 2014 के चुनाव में मीसा भारती को मसौढ़ी में करीब 12 हजार, मनेर में सात हजार और पालीगंज में डेढ़ हजार वोटों की बढ़त मिली थी.
ऐसे में भाजपा का प्रयास है कि राजद की इस बढ़त को पाट कर बडे अंतर से जीत सुनिश्चित करे. पार्टी का मानना है कि मोदी-शाह की अपील पर स्थानीय जनता जातीय बंधन से निकल कर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा को वोट करेगी. जातीय समीकरण के हिसाब से मसौढ़ी कुर्मी और यादव जबकि पालीगंज में कुशवाहा और यादव वोटरों की बहुलता है. वहीं, राजद दानापुर-फुलवारीशरीफ के वोटरों को साधना चाह रहा है.
रामकृपाल यादव की उम्मीदवारी
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव को दानापुर विधानसभा क्षेत्र से करीब 24 हजार जबकि फुलवारीशरीफ विधानसभा से करीब 16 हजार वोटों की निर्णायक बढ़त मिली थी. जातीय समीकरण के हिसाब से दानापुर यादव, जबकि फुलवारी शरीफ मुस्लिम और कुर्मी बहुल क्षेत्र बताये जाते हैं. इन वोटरों को मनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी लगातार दानापुर में कैंप कर रही हैं.
जबकि फुलवारीशरीफ में मीसा भारती खुद अलग-अलग क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान चला रही हैं. इसके अलावा उनका मनेर पर भी उनका फोकस है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे व उनके भाई तेज प्रताप यादव भी उनके समर्थन में मनेर व दानापुर में सभाएं कर रहे हैं. इस तरह से लालू परिवार ने अपनी पूरी ताकत इस इलाके में झोंक दी है.