Parliament Winter Session: टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने फेंकी रूल बुक, सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित
By सतीश कुमार सिंह | Published: December 21, 2021 06:33 PM2021-12-21T18:33:17+5:302021-12-21T18:51:11+5:30
21 दिसंबर को चुनाव कानून (संशोधन विधेयक) 2021 पर चर्चा के दौरान कथित तौर पर राज्यसभा की नियम पुस्तिका को सभापति की ओर फेंक दिया था।
नई दिल्लीः तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन को शेष शीतकालीन सत्र के लिए संसद से निलंबित कर दिया गया है। मंगलवार को सदन की नियमावली पुस्तिका अधिकारियों की टेबल की ओर उछालने के कारण निलंबित कर दिया गया है।
उन्होंने 21 दिसंबर को चुनाव कानून (संशोधन विधेयक) 2021 पर चर्चा के दौरान कथित तौर पर राज्यसभा की नियम पुस्तिका को सभापति की ओर फेंक दिया था। राज्यसभा कार्यवाही खत्म होने के बाद डेरेक ओ ब्रायन की व्यवहार की आलोचना की गई थी। इस फैसले पर संसद में मतदान किया गया।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भूपेंद्र यादव ने आलोचना की थी। विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट किया था। रूल बुक को सेक्रेटरी जनरल की ओर फेंका। सांसद को मौजूदा सत्र के शेष भाग के लिए सदन में 'अशांत व्यवहार' के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। राज्यसभा की नियम पुस्तिका को सभापति की ओर फेंक दिया था।
TMC MP Derek O'Brien (file pic) suspended from Rajya Sabha for the remaining part of the current Session for 'unruly behaviour' in the House
— ANI (@ANI) December 21, 2021
He had allegedly thrown the Rajya Sabha Rule Book towards the Chair on Dec 21 during the discussion on Election Laws (Amendment Bill) 2021 pic.twitter.com/iSpL4oeEhJ
बाल विवाह प्रतिषेध संशोधन विधेयक 2021 पेश किया गया, जिसमें लड़कियों के विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को पुरुषों एवं महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु में एकरूपता लाने के प्रस्ताव संबंधी बाल विवाह (प्रतिषेध) विधेयक 2021 को स्वीकृति प्रदान की थी।
विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिये संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी। इसके माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। इसका मकसद महिलाओं के विवाह की आयु संबंधी प्रावधान को पुरूषों के बरारब बनाने का है।
विधेयक के मसौदे के अनुसार, इसमें पक्षकारों को शासित करने वाली किसी विधि, प्रथा, रूढी या पद्धति के होते हुए भी बाल विवाह को बाल विवाह को निषिद्ध करना है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि बाल विवाह अवरोध अधिनियम 1929 को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 द्वारा बाल विवाह को रोकने के लिये लाया गया था किन्तु इस अत्यंत दुखद प्रथा का समाज से पूर्णतया उन्मूलन अभी तक नहीं हुआ है। इसलिये इस सामाजिक बुराई को दूर करने और उसमें सुधार लाने की तुरंत आवश्यकता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘ हम प्रगति का दावा तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक महिलाएं सभी मोर्चो पर प्रगति न कर लें जिसके अंतर्गत उनका शरीरिक, मानसिक और स्वास्थ्य भी शामिल है । ’’ विधेयक के मसौदे के अनुसार, अन्य बातों के साथ पक्षकारों के विवाह की आयु भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम 1872, विशेष विवाह अधिनियम 1954, पारसी विवाह और विवाह विच्छेद अधिनियम 1936, मुस्लिम (स्वीय) विधि लागू होना अधिनियम 1937, विवाह विच्छेद अधिनियम 1954, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 और विदेशी विवाह अधिनियम 1969 आदि पुरुषों और महिलाओं के लिये विवाह की एक समान न्यूनतम आयु का उपबंध नहीं करती है। इसके अनुसार, संविधान मूल अधिकारों के एक भाग के रूप में लैंगिक समानता की गारंटी देता है और लिंग के आधार पर भेदभाव को निषिद्ध करने की गारंटी देता है।
इसलिए वर्तमान विधियां पर्याप्त रूप से पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाह योग्य आयु की लैंगिक समानता के संवैधानिक जनादेश को पर्याप्त रूप से सुनिश्चित नहीं करता है। इसमें कहा गया कि महिलाएं प्राय: उच्चतर शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा, मनोवैज्ञानिक परिपक्वता प्राप्त करने के संबंध में अलाभप्रद स्थिति में रह जाती हैं और ऐसी स्थिति महिलाओं की पुरूषों पर निर्भरता को जन्म देती है। विधेयक के अनुसार ऐसे में स्वास्थ्य कल्याण एवं महिलाओं के सशक्तिकरण एवं कल्याण की दृष्टि से उन्हें पुरूषों के समान अवसर सुनिश्चित करना आवश्यक है।