संसद शीतकालीन सत्रः 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष और सरकार में तेज जंग, सीएम ममता अलग -थलग, जानिए

By शीलेष शर्मा | Published: November 30, 2021 07:57 PM2021-11-30T19:57:29+5:302021-11-30T19:58:59+5:30

Parliament winter session: राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने, संसद के मॉनसून सत्र के दौरान उच्च सदन में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के कारण शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने के फैसले को मंगलवार को उचित ठहराया।

Parliament winter session pm narendra modi rahul gandhi suspension of 12 MPs opposition and government cm mamata | संसद शीतकालीन सत्रः 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष और सरकार में तेज जंग, सीएम ममता अलग -थलग, जानिए

33 सदस्यों के नाम लिए गए थे। इनमें उन 12 सदस्यों के भी नाम हैं जिन्हें निलंबित किया गया है।

Highlightsकांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जब यह मुद्दा उठाया।विपक्षी दलों के 12 सदस्यों के निलंबन के विरोध में वाकआउट किया।ओ ब्रायन ने कहा कि सत्ता पक्ष के 80 सदस्यों को निलंबित किया जाना चाहिए।

नई दिल्लीः राज्यसभा में 12 सांसदों के निलंबन को लेकर कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष और सरकार के बीच सभापति वेंकैया नायडू के निलंबन निरस्त न करने की घोषणा के बाद शुरू हुई जंग गहराती जा रही है। सरकार विपक्ष पर निलंबन वापसी के लिये माफी मांगने की शर्त लगा रही है तो विपक्ष अड़ गया है कि निलंबित सांसद किसी कीमत पर माफी नहीं मांगेंगे।

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 राज्यसभा सदस्यों के निलंबन की पृष्ठभूमि में मंगलवार को कहा कि संसद में जनता की उठाने के लिए माफी बिल्कुल नहीं मांगी जा सकती। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!’’

संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।

उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

इससे पहले राहुल ने विपक्षी दलों की बैठक बुला कर साझा रणनीति बना ली थी। इस बैठक में टीएमसी को छोड़ समूचा विपक्ष जुटा। जिन दलों ने हिस्सा लिया उनमें कांग्रेस सहित ,16 दलों ने हिस्सा लिया ,डीएमके ,सीपीआई ,शिवसेना ,एनसीपी ,सीपीएम, आरजेडी ,आईयूएमएल ,एमडीएमके ,एलजेडी ,एनसी ,आरएसपी ,टीआरएस ,केरला कांग्रेस ,वीसीके और आम आदमी पार्टी।

ममता पड़ी अलग -थलग 

16 दलों के कांग्रेस के साथ लामबंद होने के बाद विपक्षी मोर्चे से कांग्रेस को अलग थलग करने की मंशा से जोड़ तोड़ में जुटी ममता खुद अलग खड़ी नज़र आयीं। आरजेडी सांसद मनोज झा ने टिप्पड़ी की कि ममता अपने रास्ते से भटकती नज़र आ रही हैं। उन्होंने आशंका जतायी कि कोई ताक़त है जो ममता को भरमा रही है।

उनका इशारा सरकार की तरफ था जो जांच एजेंसियों का डर दिखा कर विपक्ष की एकता तोड़ने में जुटी है। कांग्रेस ममता के फ़ैसलों पर कोई टिप्पड़ी नहीं कर रही लेकिन अनौपचारिक बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद ममता को अपना कद पता चल जायेगा कि उनकी टीएमसी पार्टी देश में कहां खड़ी है।

आज जब विपक्ष ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया तब भी टीएमसी अलग राग अलापती रही। पार्टी के सांसद डेरेक ओब्रायन ने दो टूक कहा कि मुद्दों पर टीएमसी विपक्ष के साथ है लेकिन उसकी अपनी रणनीति होगी ,कांग्रेस से उसका कोई गठबंधन न था न है। आज ही राज्यसभा में जब समूचे विपक्ष ने बहिर्गमन किया टीएमसी सदस्य सदन में बैठे रहे। उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने भी फ़िलहाल टीएमसी से दूरी बनाने का मन बना लिया है। 

सरकार की रणनीति 

सूत्रों के अनुसार सत्तारूढ़ दल भाजपा ने 12  निलंबित सांसदों को वापस न लेने की जो रणनीति अपनाई है यह सरकार का सोचा समझा फ़ैसला है। इन 12 सांसदों की गैरमौजूदगी से सरकार राज्य सभा में बहुमत में आ जायेगी और आसानी से उन 30 विधेयकों को पारित करा लेगी जो सरकार ने सूचीबद्ध किये हैं ,क्योंकि सरकार को पता है कि विपक्ष अनेक विधेयकों को स्टेंडिंग कमेटी को भेजने की मांग पर अड़ेगा ,बहुमत के आभाव में सरकार उन विधेयकों को पारित नहीं करा सकेगी।

कांग्रेस के सांसद अभिषेक सिंघवी ने सरकार की इस कोशिश को गैर लोकतान्त्रिक बताते हुये कहा कि मानसून सत्र के आचरण को लेकर शीतकालीन सत्र में निलंबन पूरी तरह गैर संसदीय और गैर कानूनी है। कांग्रेस के ही शक्ति सिंह गोहिल ने इसे बहुमत जुटाने की कुटिल राजनीति करार दिया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार संविधान की धज्जियाँ उड़ा रही है। 

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