Parliament Monsoon Session: राज्यसभा में विपक्ष के बहिष्कार के बीच कई विधेयक पारित, जानें सबकुछ
By भाषा | Published: September 23, 2020 06:38 PM2020-09-23T18:38:39+5:302020-09-23T18:38:39+5:30
कई विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच दो दिन में सदन में कुल 15 विधेयकों को पारित किया गया। नायडू ने इन घटनाक्रमों की ओर इंगित करते हुए कहा, ‘‘यद्यपि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कुछ सदस्यों को निलंबित किया गया तथा सदन के एक वर्ग के बहिष्कार के बीच विधेयकों को पारित किया गया, मैं इसे बहुत अप्रिय मानता हूं।’’
नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को विपक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा सदन का बहिष्कार किए जाने के बीच विधेयकों को पारित किए जाने को ‘‘बहुत अप्रिय’’ बताने के साथ यह भी कहा कि यदि इस परिस्थिति में विधायी कार्य को नहीं लिया जाता तो इस तरह के बहिष्कार को विधायी कामकाज को बाधित करने के प्रभावी माध्यम के रूप से जायज ठहराया जा सकता था।
उन्होंने राज्यसभा के मानसून सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में यह बात कही। रविवार को कृषि क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने के दौरान ‘‘अमर्यादित व्यवहार’’ के कारण सोमवार को विपक्ष के आठ सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया था। कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दलों ने इन सदस्यों को निलंबित करने के विरोध में मंगलवार से सदन का बहिष्कार किया।
कई विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच दो दिन में सदन में कुल 15 विधेयकों को पारित किया गया। नायडू ने इन घटनाक्रमों की ओर इंगित करते हुए कहा, ‘‘यद्यपि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कुछ सदस्यों को निलंबित किया गया तथा सदन के एक वर्ग के बहिष्कार के बीच विधेयकों को पारित किया गया, मैं इसे बहुत अप्रिय मानता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की स्थिति को हर हाल में टाला जाना चाहिए।’’ कुछ सदस्यों के आचरण पर चिंता जताते हुए नायडू ने इसे ‘‘अति पीड़ादायक’’ बताया और कहा कि सभी को इन मुद्दों पर ‘‘सामूहिक रूप से विचार मंथन’’ करना चाहिए। आठ सदस्यों के निलंबन पर उन्होंने कहा कि सदन के नियमों के तहत अपरिहार्य हो जाने पर इस तरह के कदम उठाये जा सकते हैं।
नायडू ने कहा, ‘‘सदन के एक वर्ग के बहिष्कार के दौरान यदि विधायी कार्य को नहीं लिया जाता तो इस तरह के बहिष्कार को विधायी कार्य को बाधित किए जाने के प्रभावी माध्यम के रूप से जायज ठहराया जा सकता था।’’ सभापति ने कहा कि उच्च सदन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि उपसभापति को हटाने के लिए एक नोटिस दिया गया जिसे उनके द्वारा खारिज कर दिया गया।
सभापति ने कहा कि यह नोटिस नियमों के तहत नहीं दिया गया था, इस कारण इसे खारिज किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘इस अभूतपूर्व कदम को लेकर सदन में जो घटनाक्रम हुए वह उन सभी लोगों के लिए बेहद पीड़ादायक थे जो इस गरिमामयी सदन के कद और प्रतिष्ठा को बहुत महत्व देते हैं।’’ कांग्रेस, वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित विपक्ष के कई दलों ने आठ सदस्यों को निलंबित करने के निर्णय के विरोध में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
नायडू ने इसे अप्रिय घटना करार देते हुए सदस्यों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो। उन्होंने कहा, ‘‘इस गरिमामयी सदन के सभापति के रूप में यह सब होते देखना मेरे लिए स्वाभाविक रूप से अधिक पीड़ादायक है। जब इस तरह की घटनाएं हुई और आसन को नियमों के तहत कार्रवाई करने के लिए बाधित होना पड़ा तो मुझे सबसे अधिक पीड़ा हुई।’’ गौरतलब है कि रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान हंगामे को लेकर सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था।
निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं।