हायतौबा मचाने वाले राज्यों का यू-टर्न, संसद में सरकार ने कहा-दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के अभाव में किसी की मौत की खबर नहीं
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 20, 2021 09:49 PM2021-07-20T21:49:52+5:302021-07-20T21:52:09+5:30
महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई।
नई दिल्लीः स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को बताया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने यह भी बताया ‘‘बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी। महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई।’’
उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है। पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश कोविड के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं। उन्होंने बताया ‘‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड से मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।’’
उन्होंने कहा ‘‘इसके अनुसार, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड के मामले और इसकी वजह से हुई मौत की संख्या के बारे में सूचना देते हैं। बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है।’’
अगस्त तक देश भर में लग जाएंगे 1573 ऑक्सीजन संयंत्र : मंडाविया
केंद्र ने मंगलवार को कहा कि उसने कोरोना वायरस महामारी का सामना करने के लिए 1573 ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की योजना बनायी थी, जिनमें से 316 संयंत्र चालू हो गये हैं तथा शेष संयंत्र अगस्त माह के अंत लगा दिए जाएंगे। राज्यसभा में कोविड-19 के संबंध में हुई चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि कोविड-19 महामारी से पहले देश में ऑक्सीजन का उत्पादन चार से पांच हजार मीट्रिक टन हुआ करता था जिसमें से मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन तो मात्र 1100 से 1200 मीट्रिक टन हुआ करता था।
उन्होंने कहा कि सरकार को एकाएक बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए बहुत सारे प्रयास करने पड़े। उन्होंने कहा कि देश की जनता की जान बचाने के लिए सरकार ने इस्पात सहित सभी उद्योगों से कह दिया कि वह अपने लिए ऑक्सीजन का उत्पादन रोक दें। उन्होंने कहा कि इसके बाद परिवहन की समस्या खड़ी हो गयी क्योंकि सरकार के पास टैंकरों की संख्या भी सीमित ही थी। उन्होंने कहा कि देश और विदेश से टैंकरों की व्यवस्था की गयी। तरल ऑक्सीजन को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलायी गयी।
उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना के विमानों और नौसेना के पोतों के जरिये ऑक्सीजन का परिवहन किया गया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कतर, ओमान, सऊदी अरब सहित विभिन्न देशों से ऑक्सीजन लाने के लिए सरकार ने जितने प्रयास किए, उनकी बहुत कम सराहना की गयी।
मंडाविया ने कहा कि सरकार ने 10 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन के परिवहन की व्यवस्था की जो कोई छोटी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हमें आगे बहुत कुछ करना है और सभी के सहयोग एवं प्रयासों से करना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के सभी ए श्रेणी के अस्पतालों में प्राथमिकता के आधार पर पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र लगवाने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठन, कंपनियां भी ऐसे संयंत्र लगा रहे हैं। मंडाविया ने कहा कि भारत सरकार ने 1573 ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की योजना बनायी, जिसमें से 316 संयंत्र चालू हो चुके हैं। उन्होंने कहा ‘‘ हम अगस्त तक सारे संयंत्र लगा देंगे जिसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया गया है।
सरकार जियो टैगिंग की मदद से इन संयंत्रों की दिन प्रतिदिन निगरानी कर रही है। ’’ उन्होंने राज्य सरकारों एवं सांसदों से कहा कि वह भी अपने प्रदेशों में तैयार होने वाले ऑक्सीजन संयंत्रों पर इसी तरह निगाह रखें। उन्होंने कहा, ‘‘हमने चार लाख दो हजार ऑक्सीजन सिलेंडर देने के लिए काम चालू किया है। इनमें से एक लाख 14 हजार सिलेंडर राज्य सरकारों तक पहुंचा दिए गये हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राज्यों को 56 हजार वेंटिलेटर प्रदान किए हैं।