पंडित नेहरू ने अपनी किताब में इस्लामी आक्रमणकारी महमूद गजनवी का किया था बचाव, लिखी थी ये बातें

By विकास कुमार | Published: January 5, 2019 12:25 PM2019-01-05T12:25:13+5:302019-01-05T12:32:06+5:30

अपनी किताब ''ग्लिम्पसेस ऑफ़ द वर्ल्ड हिस्ट्री' में पंडित नेहरू ने लिखा है कि कि महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर हमला किसी इस्लामी विचारधारा से नहीं किया था बल्कि वह विशुद्ध रुप से लुटेरा था और उसकी फ़ौज का सेनापति एक हिंदू तिलक था।

Pandit Nehru defends Mahmood Gajnavi in his book Glimpses of world history | पंडित नेहरू ने अपनी किताब में इस्लामी आक्रमणकारी महमूद गजनवी का किया था बचाव, लिखी थी ये बातें

पंडित नेहरू ने अपनी किताब में इस्लामी आक्रमणकारी महमूद गजनवी का किया था बचाव, लिखी थी ये बातें

''हिंदुस्तान एक खूबसूरत औरत नहीं है। नंगे किसान हिंदुस्तान हैं। वे न तो खूबसूरत हैं, न देखने में अच्छे हैं- क्योंकि गरीबी अच्छी चीज नही है, वह बुरी चीज है इसलिए जब आप भारत माता की जय कहते है तो याद रखिए कि भारत क्या है और भारत के लोग निहायत बुरी हालात में हैं, चाहे वह किसान हो, मजदूर हो, खुदरा माल बेचने वाला दुकानदार हो और चाहे हमारे कुछ नौजवान हो।'' ये वाक्य प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हैं। समाजवादी विचारों से ओत-प्रोत  नेहरू को हिन्दुस्तान की गरीबी हमेशा से चुभती थी।

अपनी किताब ''ग्लिम्पसेस ऑफ़ द वर्ल्ड हिस्ट्री' में पंडित नेहरू ने लिखा है कि कि महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर हमला किसी इस्लामी विचारधारा से नहीं किया था बल्कि वह विशुद्ध रुप से लुटेरा था और उसकी फ़ौज का सेनापति एक हिंदू तिलक था। फिर इसी महमूद गजनवी ने जब मध्य एशिया के मुस्लिम देशों को लूटा तो उसकी सेना में असंख्य हिंदू थे। गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था और हर बार सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त किया। लेकिन उनकी लिखी बातों में इस बात का स्पष्टीकरण नहीं है कि आखिर जब वो लूटेरा था तो उसने बार-बार सोमनाथ मंदिर को क्यों ध्वस्त किया। 

पंडित नेहरू ने भारतीय राजनीति में एक अलग विचारधारा को स्थापित किया, जिसे बाद के कई नेताओं ने फॉलो किया। नेहरूवियन मॉडल राजनेताओं के लिए एक फैशन के रूप में उभरा। नेहरू का सबसे बड़ा काम भारत में लोकतंत्र को खड़ा करना था, जिसकी जड़ें अब काफी मज़बूत हो चुकी हैं और जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है।

नेहरू जी अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध के बावजूद 1963 में अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की ओर से लाए गए पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराना मंज़ूर किया और उसमें भाग लिया। जितना समय पंडित जी संसद की बहसों में दिया करते थे और बैठकर विपक्षी सदस्यों की बात सुनते थे। उस रिकॉर्ड को अभी तक कोई प्रधानमंत्री नहीं तोड़ पाया है। 

जब पंडित नेहरू ने की अटल जी के लिए भविष्यवाणी 

पंडित नेहरू अपने विरोधियों की बातें भी बहुत ध्यान से सुनते थे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मिलाते हुए उन्होंने कहा था कि ये हमारे विरोधी हैं और संसद में हमारा जमकर विरोध करते हैं, लेकिन आगे जाकर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। अटल जी के बारे में पंडित नेहरू की ये भविष्यवाणी आगे जाकर सच साबित हुई। बाद में जब वाजपेयी जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री बने तो उन्होंने अपने दफ्तर में पंडित नेहरू के हटाये गए तस्वीर को फिर से लगाकर उनके प्रति अपनी अपार श्रधा का प्रदर्शन किया था। 

अंतिम समय में पंडित नेहरू को नाकामियों का भी मुंह देखना पड़ा और चीन के साथ दोस्ती करना महंगा साबित हुआ। चीन के साथ दोस्ती की पहल और पंचशील के सिद्धांत के साथ-साथ हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा दिया लेकिन चीन ने उनके विश्वास को अपने साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के तले कुचल दिया। 1962 में चीन द्वारा भारत पर हमला करने से पंडित नेहरु बहुत विचलित हुए थे और उनके मौत का सबसे बड़ा कारण हार का सदमा ही बना। 


 

Web Title: Pandit Nehru defends Mahmood Gajnavi in his book Glimpses of world history

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे