चिदंबरम ने GST को लेकर केंद्र पर साधा निशाना, कहा- इसमें है गंभीर "जन्म दोष", पिछले 5 वर्षों में और भी बदतर हो गई खामियां
By मनाली रस्तोगी | Published: July 1, 2022 05:46 PM2022-07-01T17:46:19+5:302022-07-01T17:55:35+5:30
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी शुक्रवार को अपना पांचवां जन्मदिन मना रहा है, लेकिन वास्तव में जश्न मनाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में गंभीर "जन्म दोष" थे। पिछले पांच वर्षों में ये खामियां और भी बदतर हो गई हैं।
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि जीएसटी कानूनों और उनके कार्यान्वयन के तरीके ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है और पार्टी जीएसटी 2.0 द्वारा इसके प्रतिस्थापन की दिशा में काम करेगी। विपक्षी दल ने कहा कि विमुद्रीकरण सरकार का पहला तुगलकी फरमान था जबकि वस्तु एवं सेवा कर (GST) दूसरा। दोनों ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी शुक्रवार को अपना पांचवां जन्मदिन मना रहा है, लेकिन वास्तव में जश्न मनाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में गंभीर "जन्म दोष" थे। पिछले पांच वर्षों में ये खामियां और भी बदतर हो गई हैं और जीएसटी से प्रभावित सभी लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस यह बिल्कुल स्पष्ट करना चाहती है कि आज जो तथाकथित जीएसटी लागू है, वह यूपीए सरकार द्वारा परिकल्पित जीएसटी नहीं था। जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है, हम मौजूदा जीएसटी को खारिज करते हैं और 2019 के चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक, हम मौजूदा जीएसटी को जीएसटी 2.0 से बदलने की दिशा में काम करेंगे जो सिंगल, लो-रेट होगा।
अपनी बात को जारी रखते हुए देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आज हमारे पास जो जीएसटी है वह कई दरों, शर्तों, अपवादों और छूटों का एक जटिल जाल है जो एक जानकार करदाता को भी पूरी तरह से हतप्रभ कर देगा। सभी पंजीकृत डीलर सूचित करदाता नहीं हैं; नतीजतन, वे कर-संग्राहक की दया पर हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि एक त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने एमएसएमई का बड़े पैमाने पर विनाश किया है, एक ऐसा क्षेत्र जो विनिर्माण क्षेत्र में 90 प्रतिशत तक नौकरियों का योगदान देता है। कैसे सरकार द्वारा लाए गए जीएसटी का सबसे बुरा परिणाम केंद्र और राज्यों के बीच विश्वास का पूर्ण रूप से टूटना रहा है।