तीन साल पहले सर्जरी से अलग किए गए सिर से जुड़े दो बच्चों में से एक की मौत, भारत में पहली बार किया गया था ऐसा ऑपरेशन
By विनीत कुमार | Published: November 26, 2020 08:43 AM2020-11-26T08:43:26+5:302020-11-26T08:47:29+5:30
ओडिशा के इन जुड़वां बच्चों को तीन साल पहले एम्स में बेहद मुश्किल सर्जरी के बाद अलग किया गया था। इसके बाद इन्हें दो साल निगरानी में रखा गया था और फिर कटक के अस्पताल में शिफ्ट किया गया।
भारत की 'पहली क्रैनियोपैगस सर्जरी' के जरिए अलग किए गए सिर से जुड़े ओडिशा के जुड़वा बच्चों में से एक
कालिया का निधन हो गया है। ये ऑपरेशन तीन साल पहले किया गया था। कालिया का निधन बुधवार की शाम कटक के सरकारी अस्पताल श्रीराम चंद्र भांजा (एससीबी) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुआ।
अस्पताल के एक आपातकालीन अधिकारी डॉ भुबानंद महाराणा के अनुसार कालिया ट्रामा आईसीयू में भर्ती था और इलाज चल रहा था। इन जुड़वा बच्चों को नई दिल्ली के एम्स में एक ऑपरेशन के द्वारा अक्टूबर 2017 में अलग किया गया था।
दो साल की निगरानी और ऑपरेशन के बाद के इलाज के बाद उन्हें सितंबर-2019 में कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया था। हालांकि, इनमें से एक बच्चे कालिया की अब मौत हो गई है। डॉ महाराणा के अनुसार कालिया की मौत सेप्टीसीमिया और शॉक से हुई।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉ महाराणा ने कहा, 'उसकी हालत पिछले 7 से 8 दिनों में लगातार बिगड़ रही थी। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। 14 डॉक्टरों की एक टीम लगातार उसका इलाज कर रही थी।'
बता दें कि जग्गा और कालिया नाम के जुड़वां बच्चों के जन्म के समय उनकी खोपड़ी और दिमाग एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। ऐसी स्थिति को मेडिकल भाषा में क्रैनियोपैगस कहा जाता है। ओडिशा के कंधमाल में एक आदिवासी महिला ने इन बच्चों को सामान्य प्रसव के जरिए जन्म दिया था।
इसके बाद बच्चों को 14 जुलाई 2017 को एम्स में भर्ती कराया गया था। इसके बाद एक के बाद एक कई सर्जिकल प्रक्रियाओं के जरिए दोनों बच्चों के सिर एक-दूसरे से सफलतापूर्वक अलग किए गए थे। इस ऑपरेशन को दो चरणों में पूरा किया गया था।
पहले चरण की सर्जरी 28 अगस्त 2017 को की गई थी। ये सर्जरी करीब 25 घंटे तक चली थी। इसके बाद ऑपरेशन के जरिए बच्चों को अलग करने के दूसरे चरण की सर्जरी 25 अक्टूबर 2017 को की गई। इसे भारत में क्रैनियोपैगस जुड़वां बच्चों को अलग करने के तौर पर पहली सफल सर्जरी के तौर पर जाना जाता है।