छावला रेपकांड के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली माफी पर कपिल मिश्रा ने कहा, "कैसे रुक जाएं देश में बलात्कार जब न्याय व्यवस्था का ये हाल"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 8, 2022 12:04 PM2022-11-08T12:04:31+5:302022-11-08T12:12:09+5:30
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली के चर्चित छावला रेपकांड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषियों को रिहा किये जाने पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी कोर्ट में रोजाना ही ऐसे निराशाजनक फैसले हो रहे हैं, जो किसी अपराध से कम नहीं हैं।
दिल्ली: कपिल मिश्रा ने राजधानी दिल्ली के बहुचर्चित छावला रेपकांड में दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से रिहा किये जाने पर निराशा जाहिर करते हुए न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़ा किया है। कपिल मिश्रा ने समान सबूतों और गवाहों के आधार पर हाईकोर्ट औऱ सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भारी अंतर और मौत की सजा से रिहाई के आदेश पर आश्चर्य प्रगट करते हुए कहा कि हमारी कोर्ट में रोजाना ही ऐसे निराशाजनक फैसले हो रहे हैं, जो किसी अपराध से कम नहीं हैं।
कपिल मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते सोमवार को दिये फैसले पर अपनी असहमति जताते हुए ट्वीट किया है और कहा है, "वही सबूत, वही गवाह। हाईकोर्ट से सजा-ए-मौत, सुप्रीम कोर्ट से बाइज़्ज़त बरी। कैसे रुक जाएं देश में बलात्कार जब न्याय व्यवस्था का ये हाल है। अपराधियों ने तो किरण नेगी का बलात्कार और हत्या एक बार की, न्यायपालिका तो ये जघन्य अपराध हर दिन कर रही है।"
वही सबूत , वही गवाह
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) November 8, 2022
हाईकोर्ट से सजा ए मौत
सुप्रीम कोर्ट से बाइज़्ज़त बरी
कैसे रुक जाएँ देश में बलात्कार जब न्याय व्यवस्था का ये हाल
अपराधियों ने तो किरण नेगी का बलात्कार और हत्या एक बार की
न्याय पालिका तो ये जघन्य अपराध हर दिन कर रही है #KiranNegi
किरन नेगी रेप और हत्याकांड देश की राजधानी दिल्ली को वह चर्चित मामला है, जो अपराधियों द्वारा नजफगढ़ इलाके के छावला में उसी साल को अंजाम दिया गया था, जिस साल निर्भया रेपकांड हुआ था। 09 फरवरी 2012 को तीन युवकों ने 19 साल की किरन नेगी का उस समय अपहरण करके गैंगरेप किया था. जब को काम करके घर वापस लौट रही थी।
आरोपियों ने किरन नेगी के साथ न केवल गैंगरेप किया, बल्कि उसके साथ बर्बरता की और अंत में उसकी हत्या करके दिल्ली के नजदीक हरियाणा के खेत में शव को फेंक दिया। मामले दिल्ली पुलिस पर आरोप है कि उसने दो दिन बाद बरामद हुए किरण नेगी के कस में पेशेवर तरीके से काम नहीं किया, जिस कारण कोर्ट में आरोपी तरह-तरह से कानून को छकाते रहे लेकिन निचली अदालत ने आरोपियों के सारे पैतरों को खारिज करते हुए उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा दी, जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा।
फासी की सजा पाये दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और खुद को बेगुनाह बताया। किरन नेगी के परिजनों ने भी आोरपियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में करीब 8 साल चले इस केस में किरन नेगी के परिजनों के हाथ निराशा लगी और सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीनों दोषियों को रिहा करने का आदेश दे दिया।
किरण नेगी मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी, जो अपन परिवार के साथ दिल्ली के नजफगढ़ में रहती थी। 9 फरवरी 2012 की रात करीब 8.30 बजे किरण गुडगांव स्थित एक कम्पनी से अपना काम खत्म करके तीन सहेलियों के साथ छावला कला कालोनी लौट रही थी कि रास्ते में तीन युवकों ने उसे कार में अगवा कर लिया।
तीनों अपराधियों ने किरन के साथ गैंगरेप किया। इतना ही नहीं अपराधियों ने हैवानियत की सारी हदों को पार करते हुए किरन की आंख और कान में तेज़ाब डाल दिया। मौत के घाट उतारने के बाद उन्होंने किरण की लाश लावारिस जगह पर फेंककर भाग गये थे।