नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं, उद्देश्य हासिल हुए या नहीं प्रासंगिक नहीं

By मनाली रस्तोगी | Published: January 2, 2023 11:24 AM2023-01-02T11:24:36+5:302023-01-02T11:40:50+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज किया, केंद्र के कदम को सही ठहराया।

On demonetisation Supreme Court says no flaw in Centre's decision making process | नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं, उद्देश्य हासिल हुए या नहीं प्रासंगिक नहीं

नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं, उद्देश्य हासिल हुए या नहीं प्रासंगिक नहीं

Highlightsन्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा कि केंद्र के फैसले में खामी नहीं हो सकती क्योंकि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच इस मुद्दे पर पहले विचार-विमर्श हुआ था।गवई ने नोटबंदी पर कहा कि यह प्रासंगिक नहीं है कि इसके उद्देश्य हासिल हुए या नहीं।न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना बहुमत के दृष्टिकोण से भिन्न थे और उन्होंने एक असहमतिपूर्ण निर्णय दिया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज किया, केंद्र के कदम को सही ठहराया। न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा कि केंद्र के फैसले में खामी नहीं हो सकती क्योंकि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच इस मुद्दे पर पहले विचार-विमर्श हुआ था। गवई ने नोटबंदी पर कहा कि यह प्रासंगिक नहीं है कि इसके उद्देश्य हासिल हुए या नहीं। 

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना बहुमत के दृष्टिकोण से भिन्न थे और उन्होंने एक असहमतिपूर्ण निर्णय दिया। बता दें कि न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी। रामासुब्रमण्यन थे।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 

एक हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को 'गंभीर रूप से दोषपूर्ण' बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। वर्ष 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब 'बीते वक्त में लौट कर' कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।

(भाषा इनपुट के साथ)

Web Title: On demonetisation Supreme Court says no flaw in Centre's decision making process

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