पीएम मोदी ने NEET में OBC आरक्षण पर दिया अहम निर्देश, हजारों पिछड़े छात्रों को मिल सकता है लाभ

By सतीश कुमार सिंह | Published: July 27, 2021 03:51 PM2021-07-27T15:51:38+5:302021-07-27T16:04:18+5:30

OBC reservation in AIQ medical seats: प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि ओबीसी छात्रों की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को जल्द से जल्द हल किया जाए, जबकि कई मामले देश भर की विभिन्न अदालतों में कई वर्षों से लंबित हैं।

OBC reservation in AIQ medical seats pm narendra modi Resolve issue uttar pradesh elections bjp vote bank | पीएम मोदी ने NEET में OBC आरक्षण पर दिया अहम निर्देश, हजारों पिछड़े छात्रों को मिल सकता है लाभ

कोटे में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण है, लेकिन ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है।

Highlightsओबीसी आरक्षित सीटों के सभी विवादों को जल्द सुलझा लिया जाए।  शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे।स्नातक की 15% और स्नातकोत्तर की 50% सीटों को अखिल भारतीय कोटा के रूप में निर्धारित किया गया है।

OBC reservation in AIQ medical seats: पीएम नरेंद्र मोदी ने मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण की मांग को लेकर समीक्षा की। पीएम नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया कि सभी मंत्रालय जल्द से जल्द मेडिकल सीट्स में ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी आरक्षित सीटों के सभी विवादों को जल्द सुलझा लिया जाए। 

उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्य में विधानसभा चुनाव है। पंजाब छोड़कर चार राज्यों में भाजपा सरकार है। इस बैठक में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल सीटों में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण का मुद्दा जल्द ही "सर्वोच्च प्राथमिकता पर" हल किया जाए।

“मौजूदा परिस्थितियों में, राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्नातक की 15% और स्नातकोत्तर की 50% सीटों को अखिल भारतीय कोटा के रूप में निर्धारित किया गया है। इस कोटे में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण है, लेकिन ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि ओबीसी छात्रों की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को जल्द से जल्द हल किया जाए, जबकि कई मामले देश भर की विभिन्न अदालतों में कई वर्षों से लंबित हैं। मोदी ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण लागू करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने मंत्रालय से चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न संस्थानों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की स्थिति की समीक्षा करने को भी कहा है।

ओबीसी आरक्षण पर निर्णय लेने के कगार पर केन्द्र सरकार : सॉलिसिटर जनरल

 सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीटों के अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) के तहत ओबीसी के लिए आरक्षण लागू करने के बारे में निर्णय लेने के कगार पर है। जब द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की अवमानना ​​याचिका आज आगे की सुनवाई के लिए आई तो मेहता ने मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पहली पीठ को बताया कि प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु में गैर-केंद्रीय मेडिकल कॉलेजों में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) के तहत राज्य द्वारा छोड़ी गई मेडिकल सीटों में आरक्षण को लागू करने के बारे में निर्णय लेने के कगार पर है। उन्होंने निर्णय के बारे में बताने के लिये और एक सप्ताह का समय मांगा।

पीठ ने दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई तीन अगस्त तक के लिये स्थगित कर दी। मूल रूप से, द्रमुक और उसके सहयोगियों की जनहित याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी साही की अध्यक्षता वाली पीठ ने जुलाई 2020 में अन्य बातों के अलावा, यह माना था कि इस मुद्दे को भारतीय चिकित्सा और दंत चिकित्सा परिषदों के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ केंद्र और राज्य सरकार के बीच हल किया जाना चाहिये।

जाति आधारित जनगणना हो, ‘नीट’ में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किया जाए : संगठनों की मांग

पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के कई प्रबुद्ध व्यक्तियों और संगठनों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस बार जनगणना में जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किये जाए ताकि विभिन्न क्षेत्रों में सभी पात्र समुदायों को आरक्षण का उचित लाभ मिल सके। इन व्यक्तियों और संगठनों ने ‘सोशल रिवूल्यूशन अलायंस’ (एसआरए) के बैनर तले आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा में ओबीसी के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

आंध प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. ईश्वरैया, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अवधेश कुमार साह, ‘वोटर एजुकेशन फाउंडेशन’ नामक संगठन के पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह, ओबीसी महासभा (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुशवाहा तथा कुछ अन्य लोग शामिल थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार के इस फैसले से आहत और हतप्रभ हैं कि 2021 की जनगणना में जाति आधारित जनगणना शामिल नहीं होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बार की जनगणना में जाति आधारित जनगणना को शामिल किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो पिछड़े वर्गों के लोग आंदोलन करने को विवश होंगे।’’ एसआरए की ओर से यह मांग भी गई है कि ‘नीट’ की परीक्षा में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किया जाए, ओबीसी वर्गों के कल्याण के लिए केंद्र के स्तर पर अलग मंत्रालय बनाया जाए और संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाया जाए।

(इनपुट एजेंसी)

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