'नग्नता हमेशा अश्लील नहीं', केरल हाईकोर्ट ने अर्ध-नग्न केस में सुनाया फैसला; रेहाना फातिमा को किया बरी

By अंजली चौहान | Published: June 5, 2023 05:02 PM2023-06-05T17:02:56+5:302023-06-05T17:29:08+5:30

केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार, 5 जून को, केरल कार्यकर्ता रेहाना फातिमा के खिलाफ एक मामले को खारिज कर दिया।

Nudity not always obscene says Kerala HC in half-naked case Rehana Fatima acquitted | 'नग्नता हमेशा अश्लील नहीं', केरल हाईकोर्ट ने अर्ध-नग्न केस में सुनाया फैसला; रेहाना फातिमा को किया बरी

फाइल फोटो

Highlightsरेहाना फातिमा पर अर्ध नग्न शरीर पर अपने बच्चे से पेंटिंग का आरोप हैफातिमा पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत केस दर्ज थाकेरल हाईकोर्ट ने कहा कि महिला के नग्न ऊपरी शरीर की मात्र दृष्टि को डिफ़ॉल्ट रूप से यौन नहीं माना जाना चाहिए।

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को अर्ध नग्न केस में अपना फैसला सुनाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उन्हें पॉक्सो एक्ट मामले में बरी करते हुए कहा कि हमारे समाज में किसी भी व्यक्ति को अपने शरीर पर स्वायत्तता का पू्र्ण अधिकार है। 

कोर्ट ने कहा कि नग्न शरीर के चित्रण को हमेशा यौन या अश्लील के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।  मामले से बरी कर दिया। अदालत ने मां के स्पष्टीकरण पर भी ध्यान दिया कि उसने महिला निकायों के बारे में पितृसत्तात्मक धारणाओं को चुनौती देने और अपने बच्चों की यौन शिक्षा के लिए वीडियो बनाया था।

अदालत ने कहा कि वीडियो को अश्लील नहीं माना जा सकता है। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि महिला के नग्न ऊपरी शरीर की मात्र दृष्टि को डिफ़ॉल्ट रूप से यौन नहीं माना जाना चाहिए।

इसी तरह, किसी महिला के नग्न शरीर के चित्रण को अपने आप में अश्लील, अश्लील या यौन रूप से स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। केवल संदर्भ में ही ऐसा होना निर्धारित किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ ने कहा, "पुरुष निकाय की स्वायत्तता पर शायद ही कभी सवाल उठाया जाता है, जबकि निकाय एजेंसी और महिलाओं की स्वायत्तता या पितृसत्तात्मक संरचना में लगातार खतरे में, महिलाओं को धमकाया जाता है, उनके साथ भेदभाव किया जाता है, अलग-थलग किया जाता है और उन पर मुकदमा चलाया जाता है।

उनके शरीर और जीवन के बारे में चुनाव करने के लिए उन पर अन्य लोगों द्वारा दवाब बनाया जाता है न की उनके हक को अहमियत दी जाती है। अदालत ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है अगर एक माँ अपने बच्चों को अपने शरीर को कैनवास के रूप में पेंट करने की अनुमति देती है ताकि उन्हें नग्न शरीर को सामान्य रूप से देखने के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके। अदालत ने कहा कि वीडियो में कामुकता का कोई संकेत नहीं है। 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मामला कुछ महीने पहले का है जब सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा एक केस के कारण सुर्खियों में आ गई थीं। उन्होंने  अर्ध नग्न होकर अपने नाबालिग बेटे और बेटी से अपनी शरीर पर पेटिंग बनवाई थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था।

वीडियो वायरल होने के बाद इसका काफी विरोध हुआ और उनके खिलाफ पॉस्को, किशोर न्याय और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ।

रेहाना पर पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत आरोप लगाए गए थे। 

अदालत ने उन्हें इस केस से बरी करते हुए कहा कि हर माता-पिता को अपने बच्चे को पालने का इच्छानुसार अधिकार है। यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि उन्होंने अपने बच्चों का उपयोग किसी यौन कृत्यों के लिए किया था।

कोर्ट ने कहा कि रेहाना  का अपने शरीर के बारे में स्वायत्त निर्णय लेने का अधिकार है समानता और निजता के उसके मौलिक अधिकार के मूल में। यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे में भी आता है। 

अश्लीलता के आरोप पर कोर्ट ने कहा कि बच्चे वीडियो में नग्न नहीं थे और एक हानिरहित और रचनात्मक गतिविधि में भाग ले रहे थे। आईटी अधिनियम को लागू करने के लिए विचाराधीन अधिनियम को यौन रूप से स्पष्ट अश्लील या अशोभनीय होना चाहिए लेकिन इसमें ऐसा नहीं था।

Web Title: Nudity not always obscene says Kerala HC in half-naked case Rehana Fatima acquitted

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