कर्नाटक: धर्मांतरण रोधी विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री और सभी भाजपा विधायकों के खिलाफ शिकायत दर्ज, एससी-एसटी की छवि खराब करने का आरोप

By विशाल कुमार | Published: December 27, 2021 02:38 PM2021-12-27T14:38:52+5:302021-12-27T14:42:02+5:30

एक सामाजिक कार्यकर्ता और भाकपा नेता आर. मनैया ने कहा है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021 को पेश करते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों की खराब छवि पेश की।

nti-conversion-bill-complaint-lodged-against-cm basavaraj bommai-bjp mlas | कर्नाटक: धर्मांतरण रोधी विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री और सभी भाजपा विधायकों के खिलाफ शिकायत दर्ज, एससी-एसटी की छवि खराब करने का आरोप

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई. (फाइल फोटो)

Highlightsशिकायत सामाजिक कार्यकर्ता और भाकपा नेता आर. मनैया ने दर्ज कराई है।शिकायत में सभी प्रदेश भाजपा नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग।अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों की खराब छवि पेश करने का आरोप।

बेंगलुरु:कर्नाटक विधानसभा में हाल में पेश धर्मांतरण रोधी विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र, अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और सभी भाजपा विधायकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है।

पुलिस ने सोमवार को कहा कि यह शिकायत रायचूर जिले के लिंगसुगुर पुलिस थाने में एक सामाजिक कार्यकर्ता और भाकपा नेता आर. मनैया ने दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में सभी प्रदेश भाजपा नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

शिकायतकर्ता ने कहा है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021 को पेश करते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों की खराब छवि पेश की।

शिकायत में कहा गया है कि धर्मांतरण रोधी विधेयक में इन समुदायों के लोगों को आवारा, भिखारी के रूप में दिखाया है और उन्हें ऐसे लोगों के रूप में चित्रित किया है जो पैसे, कपड़े, प्रलोभन और दान के कृत्यों के लालच में अन्य धर्मों में परिवर्तित हो जाते हैं।

शिकायतकर्ता ने शिकायत में मांग की है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और अन्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए।

शिकायतकर्ता ने इन सभी के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है।

विवादास्पद धर्मांतरण रोधी विधेयक को हाल ही में समाप्त हुए बेलगावी शीतकालीन सत्र में 23 दिसंबर को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया था। विधेयक को अभी विधान परिषद में पेश किया जाना बाकी है।

कानून मंत्री मधु स्वामी ने कहा है कि सरकार के पास 2022 के जनवरी या फरवरी में होने वाले अगले विधानमंडल सत्र के दौरान परिषद में विधेयक को पारित कराने का विकल्प है। सत्र में देरी होने पर अध्यादेश लाने का रास्ता अपनाया जाएगा।

इस बीच, कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह अध्यादेश की घोषणा के बाद भी विधेयक को खत्म कराने के लिए सब कुछ करेगी। पार्टी ने यह भी कहा है कि वह सत्ता में आते ही विधेयक को रद्द कर देगी।

मसौदा विधेयक गलत पहचान, बल, धोखाधड़ी, प्रलोभन या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण को प्रतिबंधित करता है।

इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति गलत पहचान, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, लुभाने या किसी कपटपूर्ण तरीके से या शादी के द्वारा किसी भी व्यक्ति को सीधे या किसी अन्य व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा और न ही कोई व्यक्ति इसके लिए उकसाएगा या साजिश नहीं करेगा।

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