कश्मीर में अब भर्ती होने वाले हर युवक को सीधा बनाया जा रहा है कमांडर, सभी आतंकी को दिया जा रहा है लीडर का पद
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 7, 2022 05:07 PM2022-09-07T17:07:46+5:302022-09-07T17:11:43+5:30
बताया जा रहा है कि इस साल भी अभी तक 152 आतंकी मारे गए और 35 युवक आतंकवाद की राह पर चले गए। ऐसे में उन्हें भी आतंकवादी बनाने के साथ-साथ कमांडर का पद भी दे दिया गया है।
जम्मू: कश्मीर में अब मरने वाला हर दूसरा आतंकी कमांडर रैंक का है। इस साल मारे गए आतंकियों में से तो आधे से अधिक कमांडर स्तर के थे और पिछले साल मारे गए आतंकियों में से दो तिहाई स्थानीय होने के साथ ही कमांडर बना दिए गए थे।
सुरक्षाधिकारियों के बकौल, कश्मीर में अब आतंकियों की भर्ती थम सी गई है। थोड़े बहुत जो युवा आतंकवाद की ओर आकर्षित हो रहे हैं वे दिगभ्रमित किए जा रहे हैं। उन्हें सब्ज बाग दिखाए जाते हैं, खासकर हालीवुड और बालीवुड की फिल्मों की तरह कमांडर बनाए जाने और उनके नीचे बहुत से लोगों के काम करने का सब्ज बाग देखाकर उन्हें धोखे में रखा जाता है।
सभी नहीं बन जाते आतंकवादी, कुछ लौट भी आते है
आतंकी गुट में भर्ती होने के बाद जब सच्चाई सामने आती है तो भर्ती होने वाला युवा माथा पीट कर रह जाता है। कुछ गिरफ्तार किए गए उन युवाओं ने इसकी पुष्टि की है जो इन सब्ज बागों के कारण आतंकी तो बने थे, वे अपनी मां की पुकार या परिवरा के मोह के कारण वापस भी लौट आए थे।
इस साल अभी तक 152 मारे गए आतंकी
यह बात अलग है कि आतंकी बनने का जुनून कह लिजिए या फिर बरगलाए जाने का क्रम, कश्मीर में जारी है। इस क्रम में वर्ष 2018 में 271 आतंकी मारे गए थे। इनमें 160 स्थानीय थे और सभी को कमांडर बनाया गया था। इस साल भी अभी तक 152 आतंकी मारे गए तथा 35 आतंकवाद की राह पर चले गए। उन्हें भी कमांडर बना दिया गया। इसी तरह से पिछले साल मारे गए 193 आतंकियों में से 150 कमांडर थे।
अब छोटे से आतंकी गुट में सभी है कमांडर
एक समय था जब एक आतंकी कमांडर के साथ दर्जनों दूसरे आतंकी काम करते थे और अब हालात यह है कि दो से पांच आतंकियों के गुट में सभी ही कमांडर हैं। नतीजा सामने है जिसमें अक्सर इन तथाकथित कमांडरों के बीच टकराव की स्थिति भी आ जाती है और वे एक दूसरे पर हमले करने के साथ ही एक दूसरे के कामों में टांग भी अड़ा देते हैं।
वापस आए युवक ने बताया कमांडर का फंडा
एक वापस लौटने वाले आतंकी युवा के बकौल, उसे तो डिवीजनल कमांडर बनाया गया था और उसके साथ काम करने वाले दो अन्य आतंकी युवा भी डिवीजनल कमांडर थे। इस सच्चाई के बाद उसे उन सब्ज बागों की हकीकत देखने को मिली जिनको आधार बना वह आतंकी गुटों में शामिल हुआ था।
इन डायरेक्ट भर्ती हुए कमांडरों के प्रति एक खास और चौंकाने वाली बात यह थी कि सख्ती के कारण वे सीमा पार प्रशिक्षण के लिए नहीं जा पाते थे और कश्मीर में ही एक दो दिनों की ट्रेनिंग के बाद उन्हें सुरक्षाबलों के हाथों मरने वे लिए छोड़ दिया जा रहा है।