अब सीवेज के पानी में मिला कोरोना वायरस का जीन्स, भारतीय वैज्ञानिकों के रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
By अनुराग आनंद | Published: June 9, 2020 04:07 PM2020-06-09T16:07:59+5:302020-06-09T16:11:28+5:30
आईआईटी गांधीनगर के शोधकर्ताओं (रिसर्चर) को अहमदाबाद के अनट्रिडेट सीवेज से लिए गए सैंपल में कोरोना वायरस के जीन्स मिले हैं।
नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना से रोकथाम के लिए सराकरी व व्यक्तिगत स्तर पर काफी सारे प्रयास हो रहे हैं। इसके अलावा, कोरोना संक्रमण को लेकर दुनिया भर में रिसर्च भी हो रहे हैं। भारतीय वैज्ञानिक भी कोरोना संक्रमण पर रिसर्च कर रहे हैं।
एचटी के रिपोर्ट की मानें तो कोरोना पर रिसर्च में भारतीय वैज्ञानिकों के हाथ बेहद अहम जानकारी मिली है। दरअसल, आईआईटी गांधीनगर के शोधकर्ताओं (रिसर्चर) को अहमदाबाद के सीवेज से लिए गए सैंपल में कोरोना वायरस के जीन्स मिले हैं।
पहली बार सीवेज में मिले कोरोना के जीन्स-
बता दें कि दुनिया भर में कोरोना वायरस पर रिसर्च हो रहे हैं, लेकिन पहली बार भारत के शोधकर्ताओं ने सीवेज में सार्स-कोव-2 वायरस की मौजूदगी का पता लगया है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑप टेक्नॉलजी गांधीनगर के शोधकर्ताओं को अहमदाबाद के अनट्रिडेट सीवेज से लिए गए सैंपल में कोरोना वायरस के गैर संक्रामक जीन्स मिले हैं।
आपको बता दें कि इस जानकारी से कोरोना संक्रमण के फैलने के वजहों का पता लगाना आसान होगा और साथ ही इसे फैलने से कैसे रोकना है, इसको लेकर प्लान करना आसान हो जाएगा।
वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
इस रिसर्च से जुड़े शोधकर्ताओं ने कहा है कि शोध के नतीजों से यह पता चलता है कि देश में वेस्ट वाटर आधारित सर्विलांस की आवश्यकता है। इससे कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव का पता लगाने, निगरानी और कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। इस तरीके से क्लिनिकल जांच से पहले ही किसी संभावित हॉटस्पॉट का पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वेस्टवाटर में मौजूद सार्स-कोव-2 संक्रामक नहीं है।
कई देश के यूनिवर्सिटी के साथ काम कर रहे आईआईटी गांधीनगर के रिसर्चर-
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स, फ्रांस और अमेरिका ने वेस्ट वाटर में कोरोना वायरस के अंश मिलने की बात सामने आई थी। लेकिन, इससे पहले सीवेज पानी में पूरी तरह से कोरोना के जीन्स के मौजूदगी के बारे में पता नहीं चला था।
इसी के बाद अप्रैल में आईआईटी गांधीनगर ने इस शोध के लिए दुनिया की 51 यूनिवर्सिटीज के साथ हाथ मिलाया। इनका लक्ष्य है सीवेज के पानी में कोरोना का पता लगाना, ताकि इसकी मदद से संक्रमण का सर्विलांस हो सके और एक वॉर्निंग सिस्टम तैयार हो सके।