सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 से नोटबंदी को बताया कानूनन सही, जानिए बहुमत से असहमत जज की राय
By रुस्तम राणा | Published: January 2, 2023 03:39 PM2023-01-02T15:39:58+5:302023-01-02T17:40:13+5:30
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया, हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के 8 नवंबर, 2016 के नोटबंदी के फैसले को 4-1 से कानूनन सही ठहराया। जस्टिस एस नजीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। लेकिन जिस एक जज ने इस फैसले पर अपनी असहमति जताई उन्होंने नोटबंदी की अधिसूचना को "गैरकानूनी" बताया। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि नोटबंदी से संबंधित सरकार की अधिसूचना "गैरकानूनी" थी। उन्होंने कहा कि 1,000 रुपये और 500 रुपये के सभी करेंसी नोटों पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया केंद्र द्वारा शुरू नहीं की जा सकती थी।
जस्टिस नागरत्ना अधिसूचना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से सहमत हुईं कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 के अनुसार, आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड को स्वतंत्र रूप से विमुद्रीकरण की सिफारिश करनी चाहिए थी, और यह सरकार की सलाह से नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने स्वतंत्र रूप से दिमाग नहीं लगाया था।
शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया, हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए हैं। न्यायमूर्ति एस. ए. नज़ीर की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना के अलावा न्यायमूर्ति बी. आर. गवई , न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि केंद्र के कहने पर नोटों की एक पूरी श्रृंखला को बंद करना एक गंभीर मुद्दा है जिसका अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरी कवायद 24 घंटे में कर डाली।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराते हुए कहा था कि नोटबंदी का फैसला लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी। शीर्ष अदालत केंद्र के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।