मेघालयः HC के न्यायाधीश ने कहा- NRC है दोषपूर्ण, भारत को दूसरा इस्लामिक देश बनाने की नहीं करनी चाहिए कोशिश
By भाषा | Published: December 14, 2018 05:08 AM2018-12-14T05:08:42+5:302018-12-14T05:08:42+5:30
न्यायाधीश ने कहा कि पाकिस्तान ने आजादी के बाद खुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया था। भारत को भी खुद को ‘एक हिंदू देश घोषित कर देना चाहिए था लेकिन वह धर्मनिरपेक्ष बना रहा।’
मेघालय में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने कहा कि ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी)’ दोषपूर्ण है क्योंकि इस वजह से कई विदेशी ‘भारतीय बन गए’ हैं और किसी को भी भारत को एक इस्लामिक देश बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। न्यायाधीश एस आर सेन ने सोमवार को एक व्यक्ति की याचिका का निपटारा करते हुए एक आदेश में कहा कि उन्हें विश्वास है कि नरेंद्र सरकार के नेतृत्व में सिर्फ यह सरकार मुद्दे की गंभीरता को समझेगी। संबंधित व्यक्ति को मेघालय का नागरिकता सर्टिफिकेट नहीं मिला है।
न्यायाधीश ने कहा कि पाकिस्तान ने आजादी के बाद खुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया था। भारत को भी खुद को ‘एक हिंदू देश घोषित कर देना चाहिए था लेकिन वह धर्मनिरपेक्ष बना रहा।’
इसी दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, पारसियों, ईसाइयों, खासी, जैनियों और गारो को इस देश में शांतिपूर्वक रहने देने के लिए एक कानून बनाने की मांग की। और साथ ही कहा कि इसके लिए समय सीमा की पाबंदी नहीं होनी चाहिए।
न्यायाधीश सेन ने कहा, ‘‘एनआरसी दोषपूर्ण है क्योंकि कई विदेशी भारतीय बन गए और वास्तव में भारत में रहने वाले लोग इस सूची से बाहर हो गए।' सेन ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सिर्फ यह सरकार इस मुद्दे की गंभीरता को समझ सकती है और जैसा कि ऊपर आग्रह किया गया है, वह करेंगे और हमारी मुख्यमंत्री ममता जी राष्ट्रीय हित में इस समर्थन करेंगी।'
उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, इसाई, खासी, जैन और गारो जनजाति जो अभी बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे हैं उन्हें बिना किसी सवाल या 21 दस्तावेजों को पेश किए हुए नागरिकता दी जानी चाहिए।'
सेन ने निर्देश दिया कि यह आदेश मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय और मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक और उनके सहकर्मियों तक पहुंचाई जाए।