भ्रष्ट सरकारी बाबुओं की अब खैर नहीं, पकड़े जाने पर होगी कठोर कार्रवाई, सरकार ने लिया यह फैसला
By भाषा | Published: March 6, 2020 06:51 PM2020-03-06T18:51:05+5:302020-03-06T18:51:05+5:30
कार्मिक मंत्रालय की ओर से सभी सरकारी विभागों के सचिवों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि ऐसे सरकारी बाबुओं को पासपोर्ट की मंजूरी के लिए सर्तकता अनापत्ति की जांच करना जरूरी है।
नई दिल्लीः सरकार ने फैसला लिया है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है या फिर उसके खिलाफ मुकदमे को मंजूरी दे दी गई है, वह पासपोर्ट नहीं हासिल कर पाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने केंद्रीय सर्तकता आयोग और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस संबंध में लागू मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा करने के बाद इस आशय का आदेश जारी किया है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से सभी सरकारी विभागों के सचिवों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि ऐसे सरकारी बाबुओं को पासपोर्ट की मंजूरी के लिए सर्तकता अनापत्ति की जांच करना जरूरी है।
आदेश के अनुसार यह तय किया गया है कि यदि अधिकारी निलंबित है या फिर किसी आपराधिक मामले में उसके खिलाफ जांच एजेंसी ने अदालत में आरोपपत्र दायर कर दिया है, ऐसी स्थिति में सतर्कता अनापत्ति रोकी जा सकती है। आदेश के मुताबिक सरकारी बाबुओं की पासपोर्ट प्राप्त करने के वास्ते सतर्कता अनापत्ति तब भी रोकी जा सकती है यदि सक्षम प्राधिकार ने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम या किसी अन्य आपराधिक मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी हो या अदालत ने मामले का संज्ञान ले लिया हो।
सभी विभागों से यह पता करने को कहा गया है कि क्या उनके यहां काम कर रहे सरकारी बाबुओं को भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के मामले में पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6 (2) का प्रावधान इससे जुड़ा है या नहीं। यह धारा संबंधित प्रशासन को आवेदक को पासपोर्ट देने से मना करती है यदि भारत से बाहर उसकी मौजूदगी दूसरे देश के साथ भारत के दोस्ताना रिश्ते पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है या केंद्र सरकार मानती है कि आवेदक को यात्रा दस्तावेज देना जनहित में नहीं होगा। पासपोर्ट उस स्थिति में भी रोका जा सकता है यदि आवेदक को हाजिर होने के लिए या उसकी गिरफ्तारी के लिए किसी अदालत से क्रमश: सम्मन या वारंट जारी किया गया है।