तेलंगाना चुनावः एग्जिट पोल के आंकड़े आने के बाद त्रिशंकु विधानसभा की बनी स्थिति, मंथन हुआ तेज
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 10, 2018 07:30 AM2018-12-10T07:30:31+5:302018-12-10T07:30:31+5:30
एग्जिट पोल के अनुमानों में वैसे तो राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को बहुमत मिलता दिखाया गया है, लेकिन कुछ का अनुमान है कि वह बहुमत के आंकड़े से दूर ही रह जाएंगे.
तेलंगाना में एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आने के बाद त्रिशंकु विधान सभा बनने की स्थिति में पार्टी की क्या रणनीति होगी, इस पर मंथन तेज हो गया है. किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिल पाने के स्थिति में भाजपा और कांग्रेस का क्या रुख रहेगा, यह संकेत मिलने लगा है. एक तरह से देखा जाए तो दोनों दलों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं, जहां सियासी गहमागहमी के बीच भाजपा ने तेरास का साथ देने को तैयार है. वहीं कांग्रेस ने यह संकेत दे दिया है कि उसे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से कोई परहेज नहीं है.
एग्जिट पोल के अनुमानों में वैसे तो राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को बहुमत मिलता दिखाया गया है, लेकिन कुछ का अनुमान है कि वह बहुमत के आंकड़े से दूर ही रह जाएंगे. इस पर तेलंगाना भाजपा ने केसीआर को ऑफर दिया है कि अगर वो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ जाने का फैसला छोड़ दें, तो भाजपा उनसे हाथ मिलाने को तैयार है.
तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष के. लक्ष्मण ने दावा किया कि राज्य में मौजूदा हालात ऐसे हैं कि कोई भी दल बिना भगवा पार्टी के समर्थन के सरकार नहीं बना सकता. उन्होंने कहा कि अगर केसीआर बहुमत से दूर रहते हैं तो भाजपा उन्हें सपोर्ट करने को तैयार है, लेकिन हमारी एक शर्त है. भाजपा का साथ पाने के लिए केसीआर को ओवैसी का मोह छोड़ना होगा. एक्जिट पोल्स के अनुमानों के मुताबिक, तेलंगाना में चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस को 119 सीटों में से 67 सीटें मिल सकती है, जबकि कांग्रेस व अन्य को 39, भाजपा को 5 और अन्य को 8 सीटें मिलने का अनुमान है.
एग्जिट पोल के मुताबिक, तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को इस बार 6 से 8 सीटें मिल सकती हैं. 2014 के चुनाव में उसे 7 सीटें मिली थीं. इस बार एआईएमआईएम को एक सीट का नुकसान या एक सीट का फायदा हो सकता है, जबकि भाजपा को 6 से 8 सीटें मिल सकती हैं. पिछले चुनाव में भाजपा को यहां 5 सीटें मिली थीं.
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा को लगता है कि 2019 में सरकार बनाने के लिए अगर उसे कुछ क्षेत्रीय दलों के सहयोग की जरूरत पड़ी, तो तेरास से समर्थन मिल सकता है. क्योंकि इस पार्टी के पास राष्ट्रीय राजनीति में तेदेपा से मुकाबला करने के लिए राजग के साथ आने के सिवाय कोई विकल्प नहीं होगा.
कांग्रेस ने कहा है कि अगर तेरास विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद भाजपा से हाथ मिलाती है तो उसे भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ जाने से परहेज नहीं है. कांग्रेस नेता जी.एन. रेड्डी ने कहा कि हमारे देश में कोई भी राजनीतिक पार्टी हमेशा के लिए दोस्त या दुश्मन नहीं है.
तेरास के प्रवक्ता भानु प्रसाद ने कांग्रेस या भाजपा की गठबंधन के प्रस्तावों पर साफ किया कि उनकी पार्टी को अकेले दम पर राज्य में बहुमत आएगा और वह किसी से गठजोड़ नहीं करने वाली है.