हरसिमरत कौर के इस्तीफे से मोदी अविचलित, राज्यसभा में भी कृषि बिल पारित कराने को लेकर दृढ़

By हरीश गुप्ता | Published: September 19, 2020 07:56 AM2020-09-19T07:56:01+5:302020-09-19T07:56:20+5:30

पीएम नरेंद्र मोदी की मुश्किल इसलिए आसान हो गई है क्योंकि उन्हें शिवसेना, राकांपा, वायएसआर कांग्रेस, तेदेपा, टीआरएस सहित अनेक विपक्षी दलों व सांसदों का समर्थन मिल गया है।

No Effect of Harsimrat Badal resignation govt determined to get Agriculture Bill passed in Rajya Sabha | हरसिमरत कौर के इस्तीफे से मोदी अविचलित, राज्यसभा में भी कृषि बिल पारित कराने को लेकर दृढ़

राज्य सभा में कृषि विधेयकों को पास कराने के लिए सरकार ने कसी कमर (फाइल फोटो)

Highlightsराज्य सभा में कृषि से जुड़े विधेयकों को पास कराने के लिए सरकार तैयार, आज सदन में चर्चाराज्य सभा में बीजेपी के 112 सदस्य, शिवसेना सहित कई अन्य पार्टियों का भी मिला है समर्थन

केंद्रीय मंत्रिमंडल से अकाली दल की हरसिमरत कौर के इस्तीफे से अविचलित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब राज्यसभा से कृषि क्षेत्र से जुड़े तीनों विधेयकों को जल्द पारित कराने का फैसला किया है. 242 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के 112 सदस्य हैं. वैसे राजग को इन विधेयकों पर अभूतपूर्व समर्थन हासिल है.

बिना किसी हिचकिचाहट के विरोधियों पर तीखा हमला बोलते हुए मोदी ने कहा कि इन विधेयकों से किसान बिचौलियों के चंगुल से मुक्त हो जाएगा. उन्होंने शनिवार को राज्यसभा में इन विधेयकों को पारित कराने की जिम्मेदारी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी को सौंपी है.

पीछे देखने के मूड में नहीं पीएम नरेंद्र मोदी

हालांकि भाजपा में अनेक नेता सबसे पुराने साथी अकाली दल से संबंधों में खटास से नाखुश हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अब पीछे मुड़ कर नहीं देखने का फैसला किया है.

मोदी की खुशी की वजह मोदी इसलिए भी खुश हैं कि उन्हें शिवसेना, राकांपा, वायएसआर कांग्रेस, तेदेपा, टीआरएस सहित अनेक विपक्षी दलों व सांसदों का समर्थन मिल गया है. लोकमत समाचार ने जब राकांपा के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, 'हम इन विधेयकों के समर्थन में हैं. यह महाराष्ट्र में कोई मुद्दा नहीं है.' 

इस मामले पर इससे ज्यादा टिप्पणी से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. देश मतलब पंजाब-हरियाणा नहीं दरअसल आज विपक्ष में विभाजन की वजह कई लोगों का यह सोचना था कि पूरे देश को केवल पंजाब और हरियाणा के चश्मे से नहीं देखा जा सकता. महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और अन्य राज्यों के दलों को इन विधेयकों में कुछ गलत नहीं लगा.

भारतीय खाद्य निगम चावल और गेहूं सहित अन्य उत्पाद पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों और मध्यप्रदेश से खरीदता रहा है.

ओडिशा के एक सांसद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'यह राज्य बरसों से अपनी फसल का लाभ उठाते रहे हैं. ' कांग्रेस की दुविधा कांग्रेस की दुविधा लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने साफ कर दी. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इन विधेयकों को पंजाब-हरियाणा में लागू नहीं किया जाए. सरकार चाहे तो इन्हें अन्य राज्यों में आजमा सकती है.

हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद हरियाणा पर नजर

कृषि संबंधी विधेयकों के लोकसभा में पारित होने के कारण हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद अब राजग को हरियाणा में भी विरोध के सुर सुनने को मिल सकते हैं. पंजाब के साथ-साथ हरियाणा के किसान भी कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं.

ऐसे में हरियाणा राज्य सरकार में राजग के सहयोगी दल जेपीपी के दुष्यंत चौटाला के लिए राज्य के किसानों की नाराजगी का सामना करना मुश्किल हो सकता है. अकाली दल हालांकि अभी सरकार से समर्थन वापस लेने के पक्ष में नहीं दिखता.

अकाली दल के वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य नरेश गुजराल ने कहा, 'हम चाहते थे कि विधेयक प्रवर समिति को सौंप दिए जाए, लेकिन सरकार ने हमारी बात को अनसुना कर दिया.' सुखबीर सिंह बादल की राजग नेताओं के साथ तीन दिन तक विधेयकों की वापसी के लिए मान-मनुहार के कारण ही हरसिमरत कौर को इस्तीफा देने में इतनी देर लगी.

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