नाबालिग के शरीर पर चोट के निशान नहीं, इसका मतलब यह नहीं कि यौन दुर्व्यवहार नहीं हुआ, कपड़ों पर वीर्य पाया गया: कोर्ट
By भाषा | Published: October 19, 2019 08:27 PM2019-10-19T20:27:16+5:302019-10-19T20:27:16+5:30
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह आरोपियों के वकील द्वारा दिया गया एक बेहद अपमानजनक तर्क है, क्योंकि नाबालिग लड़की को यह भी नहीं पता था कि उसे क्यों खींचा जा रहा है और क्यों छुआ गया।’’ उन्होंने, ‘‘इसलिए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नाबालिग लड़की कोई विरोध नहीं कर सकती है और किसी भी तरह के विरोध के अभाव में स्वाभाविक रूप से शरीर पर चोट लगने की कोई गुंजाइश नहीं है।’’
मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि कथित रूप से यौन दुर्व्यवहार के पीड़ित किसी नाबालिग के शरीर पर चोट के निशान नहीं होने के आधार पर ये नहीं कहा जा सकता है कि कोई अपराध नहीं हुआ है।
न्यायालय ने निचली अदालत के एक आदेश को बरकरार रखते हुए यह बात कही, जिसमें एक व्यक्ति को भादवि के तहत 10 साल के सश्रम कारावास और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो कानून, 2012) के तहत सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी।
न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने आरोपी के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि किसी भी शारीरिक हिंसा की स्थिति में जो व्यक्ति हिंसा का शिकार हुआ है, उसे शारीरिक चोट लगी होगी, जिसके अभाव में ये नहीं कहा जा सकता है कि पीड़ित का यौन उत्पीड़न हुआ।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह आरोपियों के वकील द्वारा दिया गया एक बेहद अपमानजनक तर्क है, क्योंकि नाबालिग लड़की को यह भी नहीं पता था कि उसे क्यों खींचा जा रहा है और क्यों छुआ गया।’’ उन्होंने, ‘‘इसलिए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नाबालिग लड़की कोई विरोध नहीं कर सकती है और किसी भी तरह के विरोध के अभाव में स्वाभाविक रूप से शरीर पर चोट लगने की कोई गुंजाइश नहीं है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि सिर्फ शारीरिक चोट के अभाव में यह नहीं कहा जा सकता है कि कोई अपराध हुआ ही नहीं, खासतौर से तब जबकि यह पता चला हो कि लड़की के कपड़ों पर वीर्य पाया गया है। पीड़ित लड़की की मां ने 27 मई 2016 को शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी प्रकाश ने 12 साल की लड़की को जबरन अपने घर ले गया और उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया।
निचली अदालत ने प्रकाश को दोषी ठहराया और आईपीसी के तहत 10 साल के सश्रम कारावास और पोक्सो कानून के तहत सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।