'बोतल में दूध' पर नहीं बनी सहमति, प्लास्टिक थैली में ही बिकेगा
By एसके गुप्ता | Published: August 22, 2019 08:41 AM2019-08-22T08:41:02+5:302019-08-22T08:41:02+5:30
महंगाई और मंदी की मार 'बोतल में दूध' योजना पर भी पड़ती दिख रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्लास्टिक मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन मंत्रालय ने पॉलीपैक की जगह दूध की सप्लाई बोतल से करने की योजना तैयार की थी. लेकिन बुधवार को जब इस मुद्दे पर बैठक हुई तो इस पर सहमति नहीं बन पाई.
समीक्षा में सामने आया कि अगर 'बोतल में दूध' योजना क्रियान्वित की जाती है तो इससे दूध के दाम पांच रुपए प्रति लीटर तक बढ़ाने होंगे. वहीं, उद्योग पर इसका दबाव इसलिए नहीं डाला जा सकता है क्योंकि वे मंदी की बात कर रहे हैं. ऐसे में फिलहाल वैकल्पिक तरीके से ही प्लास्टिक कम करने का निर्णय किया गया है.
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन सचिव अतुल चतुर्वेदी ने दूध कंपनियों से कहा है कि वह दो अक्तूबर तक मुंबई-दिल्ली सहित मेट्रोपोलिटन सिटी में दूध आपूर्ति में पॉलिथीन का उपयोग आधा करें. उन्होंने पॉलिथीन के इस्तेमाल को घटाने के लिए दूध कंपनियों से अगले 15 दिन में एक्शन प्लान भी मांगा है.
इसके अलावा दूध कंपनियों से कहा है कि ज्यादा खपत वाले ग्राहकों को कंपनियां आधा लीटर दूध की थैली की कीमत की तुलना में एक, दो और छह लीटर दूध की थैली के लिए प्रोत्साहित करें. इसके अलावा ग्राहक दूध की खाली थैली दुकानदार को वापस करेंगे तो ग्राहक को एक रुपए तक की छूट दी जाएगी. लौटाई गई इन थैलियों का उपयोग सड़क बनाने में किया जाएगा.
इससे पॉलिथीन का इस्तेमाल कम होगा और नागरिक दूध की थैलियों को नालियों व कचरे में नहीं फेकेंगे. फिलहाल थैली लौटाने पर छूट कब से मिलेगी, यह 15 दिन बाद कंपनियों के साथ होने वाली बैठक में तय होगा.