बिहार CM नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना की उठाई मांग, कहा-आरक्षण भी उसी के अनुरूप होना चाहिए
By एस पी सिन्हा | Published: January 21, 2019 06:45 PM2019-01-21T18:45:34+5:302019-01-21T18:45:34+5:30
नीतीश कुमार लोक संवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकार वार्ता में इस बात को दोहराया कि जाति के आबादी के अनुरूप अगर आरक्षण हो जाये तो इससे अच्छी कोई बात नहीं. उन्होंने माना कि फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के कारण जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित कर दी गयी है उसके बाद अभी भी भारी कठिनाई है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सभी जातियों की जनगणना होनी जरूरी है और 2021 में जातियों की स्पष्ट जनगणना होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 1931 के बाद देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है. इसलिए किस जाति की कितनी संख्या है और क्या सामाजिक हालत है वो जातिगत जनगणना से ही पता चल सकता है. उन्होंने भी ओबीसी के अंतर्गत जातियों के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में कोटा बढ़ाने की मांग का समर्थन किया है.
नीतीश कुमार लोक संवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकार वार्ता में इस बात को दोहराया कि जाति के आबादी के अनुरूप अगर आरक्षण हो जाये तो इससे अच्छी कोई बात नहीं. उन्होंने माना कि फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के कारण जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित कर दी गयी है उसके बाद अभी भी भारी कठिनाई है.
उन्होंने कहा कि बिहार में भी जल्द ही सवर्ण आरक्षण लागू होगा. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार इस पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इस मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं, जिसके बाद सूबे में सवर्ण आरक्षण लागू किया जाएगा.
वहीं, आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाने के मामले पर नीतीश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कारण ये संभव नहीं है लेकिन अगर इसका प्रतिशत बढ़ता है तो ये स्वागत योग्य होगा और हम इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे.
यहां बता दें कि बिहार में राजद पूर्व में की गई जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाती रही है. नीतीश कुमार ने कहा कि संख्या बढ़ाने की मांग सही है और मुझे इस मांग पर कोई ऐतराज नहीं है. वहीं, नागरिकता के बिल पर नीतीश कुमार ने कहा कि इस मामले में हमारा रुख बिल्कुल साफ है और हम मानते हैं कि नागरिकता का बिल सही नही है, इसलिए हम स्पष्ट रूप से इसका विरोध करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा में कांग्रेस का रवैया देखने वाला होगा.
चुनाव में बैलेट पेपर से फिर से मतदान के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि ईवीएम सही विकल्प है. ईवीएम का उपयोग करके चुनाव कराये जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि हर बूथ पर वीवीपैट भी होना चाहिए. जब ईवीएम प्रयोग में लाया गया, उससे पहले कैसे मतदान होता था, सभी जानते हैं.
मॉब लीचिंग का मामला गोरक्षा को लेकर उठा था. लेकिन, बिहार में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है. मॉब में हिंसा करनेवाला कायर होता है. घर में पिट जानेवाले अपनी कुंठा मिटाने के लिए मॉब में हिंसा करने पर उतारु हो जाते हैं. ऐसी प्रवृत्ति आज की नहीं है. कैमूर में दलित लडकी के मामले में कहा कि मामले की जांच की जा रही है.
तीन तलाक मामले का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि इस मामले पर भी हमारा साथ सरकार के साथ नहीं है और हम ये मानते हैं कि इस मामले को समुदाय पर ही छोड़ देना चाहिए. समुदाय को इसका निर्णय खुद लेना चाहिए.
कोलकाता में ममता बनर्जी की रैली पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जनता निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है और सभी पार्टियों को अपना अधिकार है. रैलियां होना स्वाभाविक है क्योंकि चुनाव आने वाला है ऐसे में सभी अपना काम कर रहे,
यहां उल्लेखनीय है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जमकर जातिगत जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाई थी. हाल ही में जब केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया तो राजद ने एक बार फिर से जातिगत जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी.
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सवाल किया कि केंद्र सरकार आखिर जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? दरअसल, राजद और अन्य कुछ पार्टियों का कहना है कि जातिगत जनगणना संबंधी रिपोर्ट आने से ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण दायरा बढ़ेगा.