"जनता वादे पूरा नहीं होने पर पिटाई भी करती है," नितिन गडकरी का ये बयान उन्हीं पर पड़ा भारी, बजट में सड़क निर्माण को लेकर हुआ बड़ा खुलासा
By विकास कुमार | Published: February 2, 2019 02:08 PM2019-02-02T14:08:20+5:302019-02-02T14:13:59+5:30
हाल के दिनों में कई मौकों पर नितिन गडकरी ने कहा था कि नेताओं को वही वादा करना चाहिए जिसको पूरा किया जा सके. वरना जनता पिटाई भी करती है. लेकिन इस आंकड़े के आने के बाद खुद गडकरी कटघरे में खड़े हो गए हैं.
पीयूष गोयल ने सरकार के द्वारा बनाये जा रहे सड़कों का आंकड़ा पेश किया है. बजट भाषण के दौरान उन्होंने कहा था कि सरकार प्रतिदिन 27 किमी सड़क निर्माण कर रही है. लेकिन उनके इस बखान के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि मोदी सरकार के उन दावों का क्या हुआ जिसमें प्रतिदिन 45 किमी सड़क बनाने का दावा किया गया था. नितिन गडकरी हर मंच पर सड़क निर्माण के दावों पर पूरी ताकत के साथ अपने मंत्रालय का बखान करते हैं, लेकिन सरकार के इस दावे के बाद उन पर ऊंगली उठाना शुरू कर दिया है.
हाल के दिनों में कई मौकों पर नितिन गडकरी ने कहा था कि नेताओं को वही वादा करना चाहिए जिसको पूरा किया जा सके. वरना जनता पिटाई भी करती है. लेकिन इस आंकड़े के आने के बाद खुद गडकरी कटघरे में खड़े हो गए हैं.
#InterimBudget2019 | India is constructing 27 km of roads every day since 2017-18, which is way lower than the target of 45 km/day for the current fiscal#BudgetWithBS#BudgetSession2019#Budget2019#InsightOutWithBShttps://t.co/tSrkjgoxf0
— Business Standard (@bsindia) February 1, 2019
नितिन गडकरी की दावेदारी कितनी मजबूत
नितिन गडकरी संघ के बहुत करीबी और दुलारे माने जाते हैं. नागपुर से सांसद हैं और अपने क्षेत्र के एक चर्चित नेता भी. गडकरी को मोदी सरकार के सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों में गिना जाता है. मीडिया में भी उनकी छवि एक परफार्मिंग मिनिस्टर और पारदर्शी नेता की है. बिज़नेस की अच्छी समझ और महाराष्ट्र से होने के कारण नितिन गडकरी की कॉर्पोरेट लॉबी भी बहुत मजबूत मानी जाती है. अरविन्द केजरीवाल की बीजेपी में एक मात्र नितिन गडकरी से ही अच्छी बनती है. विपक्ष में भी ऐसे तमाम नेता हैं जिनके गडकरी से अच्छे संबंध हैं. गोवा में भाजपा की कम सीटें होने के बावजूद उन्होंने भाजपा की सरकार बनवाकर उन्होंने खुद को एक बेहतरीन पॉलिटिकल मैनेजर भी साबित कर दिया है.
नरेन्द्र मोदी की 2002 की छवि विलुप्त
नरेन्द्र मोदी भारतीय राजनीति में 2014 से पहले सबसे बड़े अछूत नेता माने जाते थे. करीब डेढ़ दशक तक बीजेपी के अलावा किसी भी पार्टी के नेता के लिए मंच साझा करना भी परेशानी का सबब बन जाता और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. लेकिन आज उन्हीं नीतीश कुमार ने नरेन्द्र मोदी को साम्प्रदायिकता के मोर्चे पर क्लीनचिट दे दिया है. नीतीश कुमार के मुताबिक, नरेन्द्र मोदी की छवि अब बदल चुकी है और वो अब 'सबका साथ और सबका विश्वास' के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं.