'राजनीति क्रिकेट की तरह, आखिर में गेम कब पलट जाए पता नहीं', महाराष्ट्र पर नितिन गडकरी का बयान
By पल्लवी कुमारी | Published: November 14, 2019 10:51 PM2019-11-14T22:51:32+5:302019-11-14T22:51:32+5:30
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच सरकार गठन को लेकर कोशिश की जा रही है।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की उठा-पठक के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि राजनीति क्रिकेट की तरह आखिर में इसका गेम कब बदल जाए पता नहीं। नितिन गडकरी ने कहा है कि क्रिकेट और राजनीति में कुछ भी हो सकता है। गुरुवार को महाराष्ट्र पहुंचे नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के सवाल पर कहा,'' यह सवाल तो सही है लेकिन गलत आदमी से पूछा गया है। उन्होंने कहा, क्रिकेट और राजनीति में कब क्या हो जाए पता नहीं। कई बार आपको लगता है कि आप मैच हार चुके हैं लेकिन आखिर में नतीजा बदल जाता है। मैं अभी-अभी दिल्ली से आया हूं मुझे महाराष्ट्र की राजनीति के बारे में अभी कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है।''
उन्होंने कहा, पार्टी की ओर से जो सरकार गठन पर काम कर रहे हैं वही इसके बारे में बता पाएंगे। बता दें कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच सरकार गठन को लेकर कोशिश की जा रही है।
#WATCH "Anything can happen in cricket and politics. Sometimes you feel you are losing the match, but the result is exactly the opposite. Also, I have just arrived from Delhi, I don't know the detailed politics of Maharashtra,"Union Min Nitin Gadkari on Maharashtra govt formation pic.twitter.com/JB6cfeMRok
— ANI (@ANI) November 14, 2019
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिये संभावित गठजोड़ को अंतिम रूप देने से पहले कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के नेताओं ने गुरुवार को न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिये यहां बैठक की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सूत्रों ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के 17 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने की संभावना है।
प्रदेश में 21 अक्टूबर को 288 सीटों के लिये हुआ विधानसभा चुनाव भाजपा-शिवसेना ने मिलकर लड़ा था और दोनों को क्रमश: 105 और 56 सीटें हासिल हुई थीं। दोनों दलों को मिली सीटें बहुमत के लिये जरूरी 145 के आंकड़े से ज्यादा थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री पद साझा करने की मांग पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई जिसके कारण राज्य में गतिरोध बरकरार रहा।