Nirbhaya Case: दोषी मुकेश सिंह की याचिका को SC ने किया खारिज, निर्भया के साथ हैवानियत से लेकर डेथ वारंट तक, जानें कब-क्या हुआ
By भाषा | Published: January 29, 2020 02:29 PM2020-01-29T14:29:26+5:302020-01-29T14:29:26+5:30
दोषी अक्षय कुमार ने सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की। उच्चतम न्यायालय ने दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील ठुकरा दी।
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील बुधवार को ठुकरा दी। दिल्ली में दिसम्बर 2012 में हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी। इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी।
मुकेश कुमार सिंह दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों -मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार, को एक फरवरी को सुबह छह बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के आदेश पर अमल के लिये आवश्यक वारंट जारी किये थे। इससे पहले अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने के लिये वारंट जारी किये थे।
निर्भया मामले का सिलसिलेवार घटनाक्रम इस प्रकार है:-
16 दिसंबर, 2012 : अपने मित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक निजी बस में छह लोगों ने बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और क्रूरतापूर्ण हमला करने बाद उसे जख्मी हालत में उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया गया। पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।
17 दिसंबर : आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए। पुलिस ने चारों आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।
18 दिसंबर : राम सिंह सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
20 दिसंबर : पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया।
21 दिसंबर : दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई।
21-22 दिसंबर : अक्षय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया।
23 दिसंबर : निषेधाज्ञा की अवहेलना कर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने में दिल्ली पुलिस के सिपाही सुभाष तोमर को गंभीर चोटें आयीं। तोमर को अस्पताल पहुंचाया गया।
25 दिसंबर : पीड़िता की हालत गंभीर बताई गई। कांस्टेबल तोमर की मौत।
26 दिसंबर : दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को विमान से सिंगापुर के माउण्ट एलिजाबेथ अस्पताल में स्थानांतरित कराया।
29 दिसंबर : पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्याओं से जुझते हुए दम तोड़ दिया। पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या की धाराएं जोड़ दीं।
दो जनवरी 2013 : तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया।
तीन जनवरी 2013 : पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।
पांच जनवरी : अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया।
सात जनवरी : अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए।
17 जनवरी : त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की।
28 जनवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है।
दो फरवरी : त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
28 फरवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।
11 मार्च : राम सिंह ने तिहाड़ जेल में अत्महत्या कर ली।
22 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को निचली अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी।
पांच जुलाई : किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया।
आठ जुलाई : त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की।
11 जुलाई : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर लूटपाट करने का भी दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।
22 अगस्त : त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के खिलाफ मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू हुई।
31 अगस्त : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी।
तीन सितंबर : त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया।
10 सितंबर : अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके दोस्त की हत्या का प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।
13 सितंबर : अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।
23 सितंबर : उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की।
तीन जनवरी 2014: उच्च न्यायालय ने अपराधियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
13 मार्च : उच्च न्यायालय ने चारों अपराधियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
15 मार्च : दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।
15 अप्रैल : उच्चतम न्यायालय ने पुलिस से पीड़िता द्वारा मृत्यु पूर्व दिये गए बयान को पेश करने के लिए कहा।
तीन फरवरी 2017 : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई होगी।
27 मार्च : उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
पांच मई : उच्चतम न्यायालय ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। न्यायालय ने निर्भया कांड को ‘‘सदमे की सुनामी’’ और ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ अपराध करार दिया।
आठ नवंबर : एक दोषी मुकेश ने उच्चतम न्यायालय में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की।
12 दिसंबर : दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध किया।
15 दिसंबर : अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
चार मई 2018 : उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
9 जुलाई 2018 : उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका खारिज की।
फरवरी 2019 : पीड़िता के माता-पिता ने चारों दोषियों को मौत की सजा दिये जाने के लिए वारंट जारी करने की खातिर दिल्ली की अदालत का रुख किया।
10 दिसंबर 2019 : चौथे अभियुक्त अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
13 दिसंबर 2019 : पीड़िता की मां ने उच्चतम न्यायालय जाकर दोषी की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया।
18 दिसंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज कीं। दिल्ली सरकार ने मृत्यु वारंट जारी किये जाने की मांग की। दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे दोषियों को शेष कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने के लिए नोटिस जारी करें।
19 दिसंबर 2019 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पवन कुमार गुप्ता की अर्जी खारिज की जिसमें उसने अपराध के समय खुद के किशोर उम्र होने का दावा किया था।
6 जनवरी 2020 : दिल्ली की एक अदालत ने पवन के पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें घटना के एकमात्र चश्मदीद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी।
7 जनवरी 2020 : दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दिये जाने का आदेश जारी किया।
14 जनवरी 2020 : उच्चतम न्यायालय ने दो दोषियों विनय शर्मा (26) और मुकेश कुमार (32) की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया। मुकेश कुमार ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की।
17 जनवरी : राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका ठुकराई ।
25 जनवरी : दया याचिका ठुकराए जाने के खिलाफ मुकेश ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
28 जनवरी : उच्चतम न्यायालय में जिरह हुई, फैसला सुरक्षित रखा गया।
29 जनवरी : दोषी अक्षय कुमार ने सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की। उच्चतम न्यायालय ने दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील ठुकरा दी।