नीरव मामले से कुमार को हटाकर मुसीबत में आ गए थे ED के विशेष डायरेक्टर विनीत अग्रवाल
By हरीश गुप्ता | Published: April 18, 2019 08:23 AM2019-04-18T08:23:03+5:302019-04-18T08:23:03+5:30
केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष निदेशक विनीत अग्रवाल को हटाकर उनकी सेवा केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अधीनस्थ कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने मंगलवार देर रात आदेश जारी कर महाराष्ट्र कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से हटा दिया. अग्रवाल एक पखवाड़े पहले संकट में घिर गए थे जब उन्होंने ईडी के संयुक्त निदेशक सत्यब्रत कुमार को भगोड़े विजय माल्या और नीरव मोदी जांच मामले में कार्यमुक्त कर दिया था.
केंद्र की नाराजगी इस बात से थी कि अग्रवाल ने कुमार का तबादला उस समय किया, जब वह 29 मार्च को कोर्ट में नीरव मोदी की सुनवाई के लिए लंदन में थे. अग्रवाल ईडी के मुंबई प्रमुख थे जबकि कुमार उन्हें रिपोर्ट करते थे. निदेशक ने कुछ घंटों में ही सत्यब्रत कुमार के स्थानांतरण को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि अग्रवाल संयुक्त निदेशक का तबादला करने के लिए अधिकृत नहीं थे.
अग्रवाल को जनवरी 2017 में पांच साल के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने मंगलवार को उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि में तीन साल की कटौती की स्वीकृति दी. उसके बाद उन्हें उनके मूल महाराष्ट्र कैडर को रिपोर्ट में लौटने का आदेश दिया गया.
अग्रवाल ने महाराष्ट्र के साथ गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ईडी की जांच की अगुवाई की. हकीकत में सरकार अग्रवाल से बेहद खुश थी. जब वह सीबीआई में थे तो 2-जी घोटाले के पहले पर्यवेक्षी अधिकारी थे. वह टीम के प्रमुख सदस्यों में से एक थे, जिसने शुरुआत में करोड़ों रुपए के 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच की.
जल्दबाजी में आदेश कैसे पारित किया
ईडी निदेशक से अग्रवाल से यह लिखित स्पष्टीकरण मांगने को कहा गया है कि उन्होंने सत्यव्रत कुमार मामले में जल्दबाजी में आदेश कैसे पारित किया. निदेशक का कहना है कि विशेष निदेशक नियमानुसार सहायक निदेशक स्तर तक के ही किसी अधिकारी को स्थानांतरित कर सकते हैं या उनका बदलने में सक्षम होते हैं. संयुक्त निदेशक का पद सहायक निदेशक से बड़ा है और ऐसे अधिकारी को स्थानांतरित करने का अधिकार केवल निदेशक के पास है.