ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणाः असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन और कोंकणी साहित्यकार दामोगर मौउजो को 56वां व 57वां अवार्ड
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 7, 2021 07:35 PM2021-12-07T19:35:47+5:302021-12-07T19:36:56+5:30
1933 में असम के डरगांव में जन्मे नीलमणि फूकन साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता (1981) हैं। 1990 में पद्म श्री से सम्मानित किया।
नई दिल्लीः असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को वर्ष 2021 के लिए और कोंकणी के साहित्यकार दामोदर मौउजो को वर्ष 2022 के लिए प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
भारतीय ज्ञानपीठ ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में बताया, “ ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2021 व 2022 के लिए क्रमश: 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा कर दी है।” विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रसिद्ध कथाकार व ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया है।
उसमें बताया गया है कि 1933 में जन्मे फूकन का असमिया साहित्य में विशेष स्थान है और उन्होंने कविता की 13 पुस्तकें लिखी हैं। फूकन को पद्मश्री, साहित्य अकादमी, असम वैली अवॉर्ड व साहित्य अकादमी फैलोशिप से सम्मानित किया जा चुका है। 2002 में उन्हें साहित्य अकादमी फैलोशिप मिली।
2022 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले मौउजो कोंकणी साहित्यिक परिदृश्य में चर्चित चेहरा हैं। 1944 में जन्मे मौउजो ने करीब 50 साल के अपने लेखन करियर में छह कहानी संग्रह, चार उपन्यास, दो आत्मकथात्मक कृतियां और बाल साहित्य को कलमबद्ध किया है।
उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, गोवा कला अकादमी साहित्य पुरस्कार, कोंकणी भाषा मंडल साहित्य पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। मौउजो (77) का जन्म गोवा में हुआ था। वह एक आलोचक और पटकथा लेखक भी हैं। उन्होंने 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता।
मौउजो एक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने 2015 में प्रोफेसर एमएम कलबुर्गी की हत्या के बाद भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के 'सिकुड़ने' के खिलाफ बात की। कर्नाटक पुलिस ने पाया कि गौरी लंकेश की हत्या की जांच के दौरान उनकी जान को खतरा था।